टीईटी में 50 फीसदी अंकों की अनिवार्यता खत्म ,स्नातक परीक्षा में चाहे कुछ भी हों अंक, अभ्यर्थी दे सकेंगे टीईटी


प्रयागराज. 


शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) में 50 फीसदी अंकों की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने जुलाई 2011 के पूर्व स्नातक परीक्षा में 50 फीसदी से कम अंक पाने वाले बीएड धारकों को टीईटी में शामिल होने की इजाजत दे दी है। अब स्नातक परीक्षा में अंक चाहे कुछ भी हों, अभ्यर्थी टीईटी में शामिल हो सकता है। एनसीटीई ने यह नोटिफिकेशन दो जुलाई 2019 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से जगन्नाथ शुक्ला और नीरज राय केस में जारी आदेश के अनुपालन में किया है। 


हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले जगन्नाथ शुक्ल के अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी ने कहा- 2011 में एनसीटीई एक्ट में संशोधन से पहले देश भर में बीएड करने वाले कई लाख अभ्यर्थियों को बदलाव से राहत मिलेगी। पूर्व में एनसीटीई की ओर से 29 जुलाई 2011 को नियमों में संशोधन के बाद 50 फीसदी से कम अंक पाने वाले अभ्यर्थियों को शिक्षक पात्रता परीक्षा में शामिल होने से रोक दिया गया था।


एनसीटीई ने 13 नवंबर 2019 को नोटिफिकेशन में 23 अगस्त 2010 और 29 जुलाई 2011 के पूर्व आदेशों में संशोधन कर दिया है। स्पष्ट किया गया है कि, यदि अभ्यर्थियों ने 2011 के बाद बीएड किया है तो स्नातक अथवा परास्नातक परीक्षा में किसी भी एक में 50 फीसदी या इससे अधिक अंक पाने वाले अभ्यर्थी भी टीईटी में शामिल हो सकते हैं। इससे पहले स्नातक में 50 फीसदी अंक पाना अनिवार्य था।