श्रीमद् भागवत कथा महापुराण की तीसरे दिन की कथा सुन भाव विभोर हुए श्रोता

 रिपोर्ट_प्रभ जोत सिंह जिला ब्यूरो चीफ

इंडेविन टाइम्स न्यूज नेटवर्क 

शिव की बात ना मानने का परिणाम सती को देनी पड़ी अग्नि में आहुति... आचार्य पंडित विजय कांत तिवारी

सुल्तानपुर।शहर के द्विवेदी पुरम महुआरिया में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन कथा व्यास भागवत भूषण पंडित विजय कांत तिवारी ने शक्ति प्रसंग व विदुर नीति की कथा सुनाते हुए भक्तों को भाव विभोर कर दिया । मुख्य यजमान के पी द्विवेदी व लक्ष्मी द्विवेदी के संयोजन श्री व्यास ने कहा किसी भी स्थान पर बिना निमंत्रण जाने से पहले इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए कि जहां आप जा रहे है वहां आपके इष्ट व अपने गुरु का अपमान न हो । 

यदि अपने गुरू,इष्ट के अपमान होने की आशंका हो तो उस स्थान पर जाना नहीं चाहिए चाहे वह स्थान अपने जन्म दाता पिता का ही घर क्यों न हो । सती चरित्र के प्रसंग को सुनाते हुए भगवान शिव की बात को नहीं मानने पर सती के पिता के घर जाने से अपमानित होने के कारण स्वयं को अग्नि में स्वाहा होना पड़ा था । भागवत कथा में उत्तानपाद के वंश में ध्रुव चरित्र की कथा को सुनाते हुए व्यास जी ने समझाया कि ध्रुव की सौतेली मां सुरुचि के द्वारा अपमानित होने पर भी उसकी मां सुनीति ने धैर्य नहीं खोया जिससे एक बहुत बड़ा संकट टल गया । परिवार को बचाए रखने के लिए धैर्य संयम की नितांत आवश्यकता रहती है । 

भक्त ध्रुव द्वारा तपस्या कर श्रीहरि को प्रसन्न करने की कथा को सुनाते हुए बताया कि भक्ति के लिए कोई उम्र बाधा नहीं है । भक्ति को बचपन में ही करने की प्रेरणा देनी चाहिए क्योंकि बचपन कच्चे मिट्टी की तरह होता है उसे जैसा चाहे वैसा पात्र बनाया जा सकता है । व्यक्ति अपने जीवन में जिस प्रकार के कर्म करता है उसी के अनुरूप उसे मृत्यु मिलती है । भगवान ध्रुव के सत्कर्म की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि ध्रुव की साधना,उनके सत्कर्म तथा ईश्वर के प्रति अटूट श्रद्धा के परिणाम स्वरूप ही उन्हें वैकुंठ लोक प्राप्त हुआ। कथा के दौरान महराज ने बताया कि संसार में जब-जब पाप बढ़ता है, भगवान धरती पर किसी न किसी रूप में अवतरित होते हैं। उन्होंने कहा कि कलयुग में भी मनुष्य सतयुग में भगवान कृष्ण के सिखाए मार्ग का अनुसरण करे तो मनुष्य का जीवन सफल हो सकता है। यह कथा श्रवण के लिए भारी भीड़ उमड़ी वही व्यवस्थाओं में उपजा के जिलाध्यक्ष अनिल द्विवेदी व डा मनीष द्विवेदी जुटे रहे ।