यूपीपीसीएल पीएफ घोटाला / सीबीआई ने दर्ज की एफआईआर ,ईओडब्ल्यू से मांगे कागजात


लखनऊ. 


उत्तर प्रदेश पॉवर कार्पोशन (यूपीपीसीएल) के भविष्य निधि के जीपीएफ में हुए कथित घोटाले को लेकर सीबीआई ने एफआईआर कर ली है। अभी तक ईओडब्ल्यू ने जांच की है, इसमें 17 अफसरों की गिरफ्तारी की जा चुकी हैं। प्रदेश सरकार के इस बड़े घोटाले की सीबीआई जांच की संस्तुति 4 नवम्बर 2019 को कर दी थी। अभी तक ईओडब्ल्यू के डीआईजी हीरालाल की टीम जांच कर रही थी। सीबीआई ने पूरे मामले के दस्तावेज ईओडब्ल्यू से मांगे हैं।


इस मामले में नामजद पॉवर कार्पोरेशन के तत्कालीन निदेशक (वित्त) सुधांशु द्विवेदी तथा तत्कालीन सचिव (ट्रस्ट) प्रवीण कुमार गुप्ता को गिरफ्तार करने के बाद जेल भेजा गया है। प्रवीण गुप्ता को आगरा और सुधांशु द्विवेदी को लखनऊ से गिरफ्तार किया गया था। सीबीआई के जांच शुरू होने से पहले फिलहाल ईओडब्ल्यू इस केस की जांच कर रही है।


बिजली कर्मचारियों के जीपएफ में हुआ था घोटाला


यूपी शासन के अधिकारियों ने बिजली कर्मचारियों की कमाई को डीएचएफएल में निवेश कर दिया था। इस मामले में अब तक तत्कालीन वित्त निदेशक सुधांशु द्विवेदी, ट्रस्ट सचिव पीके गुप्ता और पूर्व एमडी एपी मिश्र की गिरफ्तारी हो चुकी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बिजली कर्मचारियों के जीपीएफ और सीपीएफ की धनराशि एक असुरक्षित निजी संस्था डीएचएलएफ में जमा करने के मामले की जांच सीबीआई से कराने के निर्देश दिए थे। 


यूपीपीसीएल के कर्मचारियों की भविष्य निधि में हुआ था घोटाला


उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के एक लाख से अधिक कर्मचारियों की सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ)और अंशदायी भविष्य निधि (सीपीएफ) के 2267.90 करोड़ रुपये दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) में फंस गए हैं। कर्मचारियों और विपक्षी नेताओं ने यह मुद्दा उठाया तो सरकार ने शनिवार को कई कार्रवाइयां कीं। मुख्यमंत्री ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इसके लिए जिम्मेदार लोगों की गिरफ्तारी के निर्देश दिए थे।