प्रयागराज : केंद्र व्यवस्थापक ही निकला सॉल्वर गैंग का सरगना, व्हाट्सप्प के जरिये पेपर भेजता था बाहर


प्रयागराज. 


उत्तर प्रदेश बोर्ड परीक्षा में एक तरफ जहां यूपी सरकार नकल विहीन बनाने में जुटी है वहीं  दूसरी तरफ स्कूल के केंद्र व्यवस्थापक ही नकल कराने के रैकेट से जुड़े हुए हैं। प्रयागराज में एक ऐसा मामला सामने आया है जहां प्रधानाचार्य ही व्हाट्सएप के जरिए पेपर को केंद्र से बाहर भेजा करता था। केंद्र से मोबाइल पर भेजे गए पेपर को साल्व कराने का सामूहिक ठेका उसका बेटा लिया करता था। इस हाईटेक साल्वर गैंग में एक और शातिर शामिल है। पेपर साल्व कराने के एवज में बाप व बेटे परीक्षार्थियों से मोटी रकम की वसूली किया करते थे।




पुलिस के अनुसार, पूरे मामले का खुलासा 29 फरवरी को उस वक्त हुआ, जब एसटीएफ की टीम ने मेजा क्षेत्र में छापा मारकर कॉपी लिखवा रहे दो शातिरों को दबोचा लिया। कड़ी पूछताछ के बाद दोनों ने पूरे मामले को कबूल किया तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आया। देर रात टीम ने मेजा थाने में रिपोर्ट दर्ज करवा दिया।


अपर पुलिस अधीक्षक एसटीएफ नीरज कुमार पांडेय व पुलिस उपाधीक्षक नावेंद्र कुमार के मोबाइल पर 29 फरवरी को किसी ने कॉल की गई थी। फोन करने वाले ने बताया कि परीक्षा केंद्र के बाहर गणित का प्रश्न पत्र सॉल्व कर कॉपियां लिखी जा रही है। इस सूचना पर अफसरों ने टीम मौके पर भेज दिया। शहर से निकली टीम मेजा एरिया स्थित माता दान सिंह इंटर कॉलेज के बगल स्थित ईट भट्ठे के पास बाग में जा पहुंची। 


बाग में ही एक व्यक्ति इंटरमीडिएट द्वितीय पाली में होने वाले गणित के पेपर को हल कर रहा था। उसे हिरासत में लेकर टीम ने पूछताछ शुरू कर दिया। पहले तो वह कुछ बताने को तैयार ही नहीं था। टीम ने जब सख्त रुख अपनाया तो वह अपना नाम विकास यादव बताया जो थाना मेजा का रहने वाला है।


केंद्र व्यवस्थापक का बेटा भी इस काम में शामिल था


पूछताछ के दौरान उसने टीम को बताया कि उसके द्वारा पेपर सॉल्व कर लिखी जा रही कॉपियां माता दान सिंह इंटर कॉलेज के कम्प्यूटर टीचर और ऑपरेटर आशीष सिंह को दिया जाना था। आशीष कॉलेज के प्रधानाचार्य एवं केंद्र व्यवस्थापक इंद्रभान सिंह का बेटा है जो मेजा का रहने वाला है। इसके बाद एसटीएफ ने आशीष सिंह व उसके प्रधानाचार्य पिता इंद्रभान सिंह को भी उठा लिया।


पुलिस की पूछताछ में टीम को पता चला कि माता दान सिंह इंटर कॉलेज का प्रधानाचार्य इंद्रभान पेपर को व्हाट्सएप के जरिए अपने बेटे के मोबाइल पर भेजा करता था। मोबाइल पर पिता द्वारा भेजे गए पेपर को सॉल्व करवा कर कॉपियां लिखवाने की सेटिंग आशीष किया करता था। सारे विषयों के पेपर को सॉल्व करवाकर लिखी हुई कॉपी देने लिए वह 35 से 40 हजार रुपये परीक्षार्थियों से लिया करता था। जबकि बाहर कॉपी लिखने व पेपर को सॉल्व करने वाले को प्रति पेपर चार हजार रुपये दिया करता था।