कोर्ट में गिड़गिड़ाते हुए कुलदीप सेंगर ने कहा - मैंने कुछ गलत किया हो तो मेरी आंखों में तेजाब डाल दें या फांसी पर लटका दें


उन्नाव.


उन्नाव की दुष्कर्म पीड़ित के पिता की न्यायिक हिरासत में हुई मौत के मामले में गुरुवार को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में सजा की अवधि पर बहस हुई। सीबीआई ने दोषी पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर समेत सात लोगों को अधिकतम सजा दिए जाने की मांग की है। सुनवाई के दौरान सेंगर जज धर्मेश शर्मा के सामने गिड़गिड़ाने लगा। कहा- कृपया मुझे न्याय दें, मैं निर्दोष हूं। मुझे इस घटना की जानकारी तक नहीं थी। अगर मैंने कुछ गलत किया है तो मेरी आंखों में तेजाब डाल दें या फांसी पर लटका दें। जज ने सेंगर से कहा- वह मामले में सभी तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार कर चुके हैं। अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। अब शुक्रवार को दस बजे सेंगर समेत अन्य दोषियों को सजा सुनाई जाएगी।


चार मार्च को सेंगर समेत सात आरोपियों को ठहराया था दोषी


चार मार्च को अदालत ने पूर्व विधायक कुलदीप सिंह, सब इंस्पेक्टर कामता प्रसाद, एसएचओ अशोक सिंह भदौरिया, विनीत मिश्रा उर्फ विनय मिश्रा, वीरेंद्र सिंह उर्फ बउवा सिंह, शशि प्रताप सिंह उर्फ सुमन सिंह व जयदीप सिंह उर्फ अतुल सिंह को कोर्ट ने दोषी करार दिया था। कोर्ट ने सेंगर को धारा 120 बी के तहत दोषी माना, जबकि सिपाही अमीर खान, शरदवीर सिंह, राम शरण सिंह उर्फ सोनू सिंह, शैलेंद्र सिंह उर्फ टिंकू सिंह को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था। तीस हजारी कोर्ट ने सजा पर बहस के लिए 12 मार्च की तारीख तय की थी।


इससे पहले कोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म मामले में दिसंबर 2019 में कुलदीप सेंगर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। 9 अप्रैल 2018 को उन्नाव में पीड़ित के पिता की हिरासत में मौत हो गई थी। परिजन ने सेंगर और उसके साथियों पर उनकी हत्या का आरोप लगाया था। सीबीआई अभियोजक ने विशेष न्यायाधीश धर्मेश शर्मा को बताया कि मामले में दोषी ठहराए गए दो पुलिसकर्मियों को हिरासत में लिए जाने के लिए कठोर सजा का प्रावधान है। पुलिस अधिकारी लोक सेवक हैं और उनका कर्तव्य कानून और व्यवस्था बनाए रखना था। मृतक को शाम 6 बजे पीटा गया, वे उसके साथ रात 9 बजे तक बैठे रहे। लेकिन अपने कर्तव्यों का पालन नहीं किया गया। इसलिए वे अधिक उत्तरदायी हैं।


पीड़ित के पिता को फंसाया गया था: जज


13 अगस्त 2019 को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) धर्मेश शर्मा ने कहा था- पीड़ित के पिता को फंसाया गया था। इसके बाद उन्हें हिरासत में भेज दिया गया, जहां उनकी मौत हो गई। इसके पीछे क्या कोई मंशा थी? यह जांच का विषय है। उन्होंने कहा कि यह एक बड़ी साजिश थी, जो पीड़िता के पिता को पैरवी करने से रोकने के लिए की गई थी। कोर्ट ने कुलदीप सेंगर, उसके भाई अतुल सेंगर, उत्तर प्रदेश के 3 पुलिसकर्मियों और 6 अन्य लोगों पर आरोप तय किए थे। 29 फरवरी को हुई सुनवाई में अदालत ने फैसले के लिए 4 मार्च की तारीख तय की थी।


तीन साल पहले नाबालिग ने दुष्कर्म का आरोप लगाया था


उन्नाव में कुलदीप सेंगर और उसके साथियों ने 2017 में नाबालिग को अगवाकर सामूहिक दुष्कर्म किया था। इस मामले की जांच सीबीआई ने की थी। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर केस दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया था। दिल्ली कोर्ट ने दोषी कुलदीप सिंह सेंगर (53) को 20 दिसंबर को उम्रकैद की सजा सुनाते हुए उसे मृत्यु तक जेल में रखने के आदेश दिए थे। सेंगर पर 25 लाख रुपए जुर्माना भी लगाया गया था। कुलदीप सेंगर की विधानसभा सदस्यता भी रद्द की जा चुकी है।


कांग्रेस से बसपा-सपा में होते हुए भाजपा में आया कुलदीप


कुलदीप सेंगर की गिनती उत्तर प्रदेश के दलबदलू नेताओं में होती है। 4 बार से लगातार विधायक रहा कुलदीप कभी चुनाव नहीं हारा। उसने उन्नाव जिले की अलग-अलग सीटों से 3 बार चुनाव जीता। वह 2002 में पहली बार बसपा से सदर, 2007 में सपा से बांगरमऊ और 2012 में भगवंतनगर से चुनाव जीता था। 2017 में उसने भाजपा से बांगरमऊ सीट से चुनाव जीता था।