लखनऊ.
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कोरोनावायरस के पहले केस की पुष्टि हुई है। कनाडा से लखनऊ अपने रिश्तेदारों से मिलने आई एक महिला में कोरोनावायरस की पुष्टि के बाद उसे किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में आइसोलेट कर रखा गया है। हालांकि, महिला के पति की रिपोर्ट निगेटिव है। ऐहतियातन दोनों को अलग अलग वार्ड में भर्ती किया गया है। इसके साथ ही यूपी में कोरोनावायरस के मरीजों की संख्या 10 हो चुकी है।
महिला डॉक्टर के 10 रिश्तेदारों की भी होगी जांच
कनाडा के टोरंटो शहर में रहने वाली महिला डॉक्टर बीते रविवार को राजधानी पहुंचीं। मंगलवार को उन्हें बुखार आया। बुधवार को उन्होंने केजीएमयू पहुंचकर अपने स्वास्थ्य का परीक्षण करवाया। देर रात उनकी जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इस पर उन्हें विशेष निगरानी में रखा गया है। स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ विकासंदू अग्रवाल ने बताया कि मरीज से संबंधित पूरी जानकारी जुटाई जा रही है। मेडिसिन विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. हिमांशु ने बताया कि पति की जांच कराई गई, लेकिन उनमें संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई। फिलहाल मरीज व उनके पति को अलग-अलग भर्ती रखा गया है। उन्होंने बताया कि आठ से 11 मार्च के बीच महिला डॉक्टर ने जिन लोगों से मुलाकात की, उनकी सूची बनाई गई है। इनमें 10 लोग शामिल हैं। इन सभी की जांच की जाएगी।
सबसे अधिक मरीज आगरा के
अभी तक यूपी में कुल दस मरीजों में कोरोना वायरस पाया गया है। इसमें सबसे ज्यादा सात मरीज आगरा के हैं। एक-एक गाजियाबाद, नोएडा और लखनऊ का है। अब तक कुल जिन 554 मरीजों के नमूने जांच के लिए भेजे जा चुके हैं और इसमें से 469 मरीजों की जांच रिपोर्ट निगेटिव आई है और 77 की रिपोर्ट आना बाकी है। उधर बुधवार को दस संदिग्ध मरीजों को अलग-अलग अस्पताल में भर्ती करवाया गया। इसमें तीन आगरा, एक नोएडा के अस्पताल व छह दिल्ली स्थित सफदरगंज अस्पताल में भर्ती करवाए गए हैं। आगरा में 40 स्वास्थ्य अधिकारियों की टीम बचाव व राहत कार्य में जुटी है।
740 नए संदिग्ध मरीज चिह्नित
बुधवार को यूपी में चीन सहित 12 देशों की यात्रा से वापस आए 740 नए मरीजों को चिह्नित किया गया। इन्हें जिला सर्विलांस यूनिट की निगरानी में रहने के निर्देश दिए गए हैं। ज्यादातर को होम आइसोलेशन (सुरक्षित ढंग से घर में रखा गया) में रखा गया है।
अब तक 12 लाख से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग
यूपी में नेपाल बार्डर से सटे जिलों में खास चौकसी बरती जा रही है। बिना स्क्रीनिंग किसी व्यक्ति को यूपी में प्रवेश नहीं दिया जा रहा। अब तक 12 लाख से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है।