लखनऊ.
योगी सरकार ने मंगलवार को राज्य कर्मचारियों से जुड़े उत्तर प्रदेश फंडामेंटल रूल्स में एक बड़ा बदलाव किया है। ये नियम स्वैच्छक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) लेने वाले कर्मियों पर लागू होगा। लोकभवन में हुई कैबिनेट मंत्रियों की बैठक में यूपी फण्डामेण्टल रूल्स 1942 के नियम 56 (ई) में संशोधन का प्रस्ताव पास कर दिया है। सदन से पास होने के बाद ये कानून बन जाएगा। इसके तहत 20 साल की सर्विस पूरी करने से पहले जो भी कर्मचारी वीआरएस लेगा, उसे पूरी पेंशन नहीं मिलेगी। उत्तर प्रदेश में तकरीबन 15 लाख कर्मचारी हैं।
अब नहीं मिलेगा 5 साल का ग्रेस पीरियड
अब राज्य सरकार से 5 साल का ग्रेस पीरियड नहीं मिलेगा। अभी तक के नियम के मुताबिक वीआरएस लेने वाले कर्मचारियों को राज्य सरकार 5 साल का ग्रेस पीरियड देती थी। यानी यदि कोई कर्मचारी 20 साल के बजाय 15 साल में ही वीआरएस ले लेता था, तब भी उसे पूरी पेंशन मिलती थी। लेकिन, अब ऐसा नहीं होगा। इस ग्रेस पीरियड को योगी सरकार ने खत्म कर दिया है। अब यदि पूरी पेंशन का लाभ लेना है तो 20 साल की सर्विस पूरी करनी ही होगी।
सरकारी डॉक्टरों पर ज्यादा पड़ेगा असर
इस नियम का सबसे ज्यादा असर सरकारी डॉक्टरों पर देखने को मिलेगा। बड़ी संख्या में सरकारी डॉक्टर वीआरएस ले लेते थे लेकिन, अब उन्हें ऐसा करने के लिए और लम्बा इंतजार करना पड़ेगा। जब यूपी सरकार ने छठवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू किया था, तब ये नियम आया था कि 20 साल की सर्विस पर ही पूरी पेंशन मिलेगी। उससे पहले पूरी पेंशन लेने के लिए 33 साल की सर्विस जरूरी होती थी।
केंद्र में पहले से लागू है यह नियम
यूपी सरकार ने फण्डामेण्टल रूल में संशोधन किया है, यह नियम केन्द्र सरकार ने बहुत पहले ही लागू कर दिया था। अब राज्य सरकार ने भी इसे अपना लिया है। हालांकि, अभी संशोधन का प्रस्ताव सिर्फ कैबिनेट से पास किया गया है। इसे विधानसभा और विधानपरिषद से भी पास कराया जाना जरूरी है, तभी एक्ट में संशोधन हो पाएगा।
क्या कहता है नियम?
उत्तर प्रदेश फंडामेंटल रूल्स के मूल नियम-56 सरकार को जनहित में ऐसे सरकारी कर्मचारी को रिटायर करने का अधिकार देते हैं, जिसकी ईमानदारी संदेहपूर्ण हो और वह काम में निष्प्रभावी पाया गया हो। इसमें सरकार को यह भी अधिकार है कि वह किसी भी अफसर या कर्मी के काम का कुछ अंतराल पर रिव्यू कर सकती है और उन्हें प्रीमैच्योर रिटारमेंट दे सकती है। यूपी में सरकार ने अब तक 600 अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की है। इनमें 200 अधिकारी ऐसे हैं, जिन्हें जबरन रिटायरमेंट दे दिया गया।