योगी ने समाजवादी पार्टी पर निशाना साधा- रामभक्तों पर गोली चलाने वाले उपद्रवियों पर कार्रवाई का जवाब मांग रहे


लखनऊ. 


उत्तर प्रदेश विधानसभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बजट पर चर्चा के दौरान समाजवादी पार्टी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा- जिन लोगों ने अयोध्या में रामभक्तों पर गोली चलाकर रामनगरी की मान्यता को दूषित करने का प्रयास किया था, वे आज नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हुई हिंसा के उपद्रवियों पर होने वाली कार्रवाई पर हमसे जवाब मांग रहे हैं। योगी ने फिर एक बार सदन में दोहराया कि, रामराज्य कोई धार्मिक कार्य नहीं है। इसकी परिभाषा स्पष्ट है। लेकिन लोकतंत्र की आड़ में अगर कोई आतंक मचाएगा तो वह जिस भाषा में समझेगा, उसे उसकी भाषा में समझाएंगे। 


'संविधान को तार-तार करने वाले आज दुहाई दे रहे हैं'


बुधवार को विधानसभा में बजट पर चर्चा होनी थी। लेकिन विपक्षी दलों ने हंगामा किया। इस दौरान सीएम योगी ने कहा- विधानसभा में राज्यपाल के भाषण से सत्र के शुभारंभ की परंपरा रही है। लोकतंत्र में हर एक को बोलने व विरोध करने का अधिकार व आजादी है। लेकिन संविधान के दायरे में रहकर ही यह किया जा सकता है। लेकिन जिन लोगों ने संविधान को तार-तार किया, वो आज संविधान की दुहाई देते हैं। जिन लोगों ने महिलाओं की इज्जत को तार-तार किया वो महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं।


'टोपी पहनने से कोई धर्म नहीं हो जाता'


सीएम ने कहा- रामराज्य कोई धार्मिक कार्य नहीं है। सिर पर टोपी पहनने से धर्म नहीं हो जाता। जो लोग राष्ट्रीय सुरक्षा को आघात पहुंचाना चाहते हैं उन्हें विपक्षियों की सहानुभूति मिलती है। अगर उनकी सहानुभूति गरीब किसानों की तरफ होती तो हमें खुशी होती। लेकिन उन लोगों के प्रति उनकी कोई सहानुभूति नहीं है। रामभक्तों पर गोली चलवाया था और आतंकवादियों के मुकदमे वापस लेते हैं, वो लोग कौन हैं? ऐसे लोग समझ हीं नही सकते कि रामराज्य क्या होता है? वो चेहरे कौन थे जो अयोध्या और बनारस और गोरखपुर समेत कई जगह होने वाले ब्लास्ट के आरोपियो की मदद कर रहे थे।


'बहस करिए पर तथ्ययुक्त हो' 


सीएम ने कहा- 2 अक्टूबर को जब सदन में 36 घंटे तक चर्चा हुई तब विपक्ष के नेता यहां से चले गए थे। किसी भी ठोस मुद्दे पर विपक्ष सार्थक चर्चा करने को तैयार नहीं है। छात्रवृत्ति की बात करते हैं तो हमने हम इस वर्ष 26 जनवरी को 56 लाख छात्रों को छात्रवृत्ति दी। जिसमें से 28 लाख बच्चे पिछड़ी जाति के हैं। जब सपा और बसपा की आंतरिक लड़ाई चल रही थी, जब सपा की सरकार आती तो अनुसूचित जाति के बच्चे छूट जाते हैं और जब बसपा की सरकार आती तो पिछड़ी जाति के बच्चे छूट जाते हैं। सरकार किसी भी प्रदेश के किसी भी जाति के लोग के साथ अन्याय नहीं होने देगी। सपा, बसपा और कांग्रेस सबको मौका मिला। कोई यह नहीं कह सकता कि हम सत्ता में नहीं थे। लेकिन उस दौरान क्या किया? बजट के दौरान चर्चा होगी और चर्चा पर बहस करिए। लेकिन किसी भी मुद्दे पर बहस तथ्यों पर आधारित होनी चाहिए।