नागरिकता संशोधन कानून : उत्तर-पूर्वी दिल्ली में मंगलवार को लगातार तीसरे दिन हिंसा जारी ,हेड कॉन्स्टेबल समेत 8 की मौत, 110 जख्मी


नई दिल्ली. 


नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के मुद्दे पर उत्तर-पूर्वी दिल्ली में मंगलवार को लगातार तीसरे दिन हिंसा हुई। उपद्रवियों ने सुबह मौजपुर और ब्रह्मपुरी इलाके में फिर से पत्थरबाजी की, एक फायर ब्रिगेड को आग के हवाले कर दिया। इससे पहले रात 3 बजे तक उत्तर-पूर्वी दिल्ली में आग लगने की 45 कॉल आईं। सोमवार को जाफराबाद और मौजपुर इलाके में सीएए विरोधी और समर्थक गुटों की बीच भड़की हिंसा में हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल समेत 8 लोगों की मौत हो गई। शहादरा के डीसीपी अमित शर्मा, एसीपी अनुज कुमार और दमकल कर्मियों समेत 40 जवान जख्मी हैं। 70 लोग घायल हुए। पुलिस ने कहा कि स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन कई इलाकों में तनाव है।


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के भारत दौरे और उनके दिल्ली पहुंचने से कुछ घंटे पहले हुई हिंसा के पीछे दिल्ली पुलिस ने सुनियोजित साजिश का अंदेशा जताया है। पुलिस के मुताबिक, ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि दुनिया के सामने प्रधानमंत्री मोदी और भारत की छवि खराब की जा सके। ट्रम्प सोमवार रात को दिल्ली के चाणक्यपुरी स्थित एक होटल में रुके। ये जगह हिंसा वाले इलाके से करीब 20 किमी की दूरी पर है। कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए हिंसा प्रभावित इलाकों में अर्धसैनिक बलों की 35 कंपनियां तैनात की गई हैं।


 टकराव शनिवार को हुआ, रविवार को पहली बार हिंसा भड़की


उत्तर-पूर्वी दिल्ली में टकराव की शुरुआत शनिवार शाम को हुई थी, जब जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के नीचे की सड़क पर बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी जुटने लगे। इनमें ज्यादातर महिलाएं थीं। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि शाहीन बाग की तरह हम यहां से भी नहीं हटने वाले। लेकिन पुलिस वहां से तिरपाल और तख्त उठाकर ले गई थी। पूर्वी दिल्ली के मौजपुर में भी प्रदर्शनकारियों ने एक सड़क बंद कर रखी थी। रविवार को यहां पहली बार हिंसा भड़की। विवाद तब शुरू हुआ, जब भाजपा नेता कपिल मिश्रा अपने समर्थकों के साथ वहां पहुंचे और सड़क खुलवाने की मांग काे लेकर सड़क पर बैठकर हनुमान चालीसा पढ़ने लगे। 


सोमवार को भी हिंसा मौजपुर से ही शुरू हुई


सोमवार सुबह से मौजपुर चौराहे पर मंदिर के सामने महिलाएं सीएए के समर्थन में सड़क पर बैठ गईं। दूसरी तरफ इस कानून के विरोध में प्रदर्शनकारी आमने-सामने हो गए। इसके बाद वहां माहौल भड़क गया और पत्थरबाजी शुरू हो गई। पथराव करने वाले लोग नकाब पहने हुए थे। इसके बाद हालात बेकाबू होते चले गए। वजीराबाद रोड पर प्रदर्शनकारियों ने कई गाड़ियों में आग लगा दी। जाफराबाद रोड पर उपद्रवियों ने फायरिंग की। सरेआम पिस्टल और तलवारें लहराईं। उनके सामने पुलिस बेबस नजर आई। भजनपुरा में पेट्रोल पंप में आग लगा दी। यहीं पर सिर पर लगे पत्थर से हेड कांस्टेबल रतनलाल की मौत हो गई। हिंसा के दौरान शाहदरा डीसीपी की गाड़ी में भी आग लगा दी गई। खजूरी में 2 बंद स्कूलों, 25 दुकानों और मकानों में आग लगाई। चांद बाग में एक धार्मिक स्थल में आगजनी की। कई दुकानों में तोड़फोड़ कर सामान लूटा। खजूरी रोड पर पुलिस खुद भी उपद्रवियों पर पथराव करती नजर आई। अब तक हिंसा में 40 पुलिसकर्मी घायल हुए।


हेड कॉन्स्टेबल और 7 नागरिकों की जान गई


सोमवार को हिंसा में गोकलपुरी थाने के हेड कॉन्स्टेबल रतनलाल समेत 8 लोगों की मौत हुई। मरने वाले नागरिकों के नाम शाहिद, मोहम्मद फुरकान, राहुल सोलंकी, नजीम, विनोद हैं, जबकि दो व्यक्तियों की शिनाख्त नहीं हुई। 42 साल के विनोद की उसके बेटे मोनू के सामने पत्थर लगने से मौत हुई, जबकि मोनू भी इसमें घायल हुआ है। एक अन्य मृतक फुरकान के परिवार ने दावा किया है उसकी मौत गोली लगने से हुई। वह हैंडी क्राफ्ट का काम करता था। वहीं, शाहिद की ओर से उसके पड़ोसी ने दावा किया उसकी मौत भी गोली लगने से हुई। शाहिद कर्दमपुरी में रहता था। कुछ महीने पहले ही उसकी शादी हुई थी। वह ईदगाह से घर लौट रहा था। चांद बाग दरगाह के पास उसे गोली मारी गई। हिंसा में मारे गए अन्य लोगों के नाम नजीम और राहुल सोलंकी हैं, दो की पहचान नहीं हो पाई है।