प्रयागराज.
माफिया मुन्ना बजरंगी हत्याकांड की सीबीआई से जांच कराने के आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को दिए हैं। 9 जुलाई 2018 को बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में बजरंगी की पत्नी सीमा सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। जस्टिस सुधीर अग्रवाल व जस्टिस राजीव मिश्रा की डिवीजन बेंच ने सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। बजरंगी की हत्या का आरोपी सुनील राठी तिहाड़ जेल में है। सीमा सिंह ने जेल प्रशासन पर सुनील राठी से मिलीभगत कर हत्या कराने का आरोप लगाया था।
सुनील राठी ने मारी थी 13 गोली
पूर्व बसपा विधायक लोकेश दीक्षित से रंगदारी मांगने के आरोप में बागपत कोर्ट में बजरंगी की पेशी होनी थी। इसी कारण उसे 8 जुलाई 2018 की देर रात झांसी जेल से बागपत लाया गया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मुन्ना बजरंगी के शरीर में 12 गोलियों के निशान पाए गए थे। वहीं, उसके शरीर पर भी कई चोट के निशान मिले थे। मुन्ना बजरंगी की हत्या बागपत जेल में बंद गैंगस्टर सुनील राठी ने की थी। पुलिस पूछताछ में सुनील ने अपना जुर्म कबूल कर लिया था। राठी ने कहा था कि दोनों के बीच बहस हुई थी। इसके बाद राठी ने गोली मारकर बजरंगी की हत्या कर दी थी। मुन्ना बजरंगी पर 40 हत्याओं, लूट, रंगदारी की घटनाओं में शामिल होने का केस दर्ज थे।
भाजपा विधायक की हत्या के बाद बना मोस्ट वॉन्टेड
मुन्ना बजरंगी का असली नाम प्रेम प्रकाश सिंह था। 1967 में उत्तरप्रदेश के जौनपुर जिले के पूरेदयाल गांव में पैदा हुए मुन्ना ने पांचवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी। उसे हथियार रखने का बड़ा शौक था। वह फिल्मों में दिखाए जाने वाले गैंगस्टर की तरह बनना चाहता था। 17 साल की उम्र में जौनपुर के सुरेही थाना में उसके खिलाफ पहली बार हत्या और डकैती का मामला दर्ज हुआ। इसके बाद मुन्ना के क्राइम का ग्राफ तेजी से बढ़ने लगा। मुन्ना बजरंगी पर 29 नवंबर 2005 को भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की दिनदहाड़े हत्या करने का भी आरोप लगा था। इस हत्याकांड ने सूबे के सियासी हलकों में हलचल मचा दी थी। इस हत्या को अंजाम देने के बाद वह मोस्ट वॉन्टेड बन गया था।