अयोध्या.
रामनगरी में प्रभु श्रीराम की 251 मीटर ऊंची प्रतिमा लगाने के लिए मांझा बरहटा गयापुर दोआबा में 85.997 हेक्टेयर किसानों की जमीन के अधिग्रहण को लेकर 200 से अधिक आपत्तियां मिली हैं। किसानों का आरोप है कि जमीन अधिग्रहण नियम के मुताबिक आपत्ति दाखिल करने के लिए केवल 60 दिन का समय दिया जाना चाहिए लेकिन प्रशासन की तरफ से हमें केवल 15 दिन की ही मोहलत दी गई। किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी बात नहीं सुनी गई तो आंदोलन का रास्ता अख्तियार करेंगे और जरूरत पड़ी तो हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाएंगे।
दरअसल, अयोध्या में भगवान श्रीराम की सबसे ऊंची प्रतिमा स्थापित करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की हरी झंडी के बाद 14 जनवरी को जिलाधिकारी अनुज कुमार झा की ओर से अधिग्रहण का नोटिफिकेशन जारी किया गया था। अधिग्रहण के दायरे में सबसे अधिक 70 फीसदी हिस्सा महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट का है।
इसके कुल 174 प्लाॅट नोटिफिकेशन में शामिल हैं। कारण कि अधिकांश भूमि पर लोगों का दशकों से अवैध कब्जा मुक्त नहीं हो पाया था। ऐसे में बगैर मालिकाना हक के रह रहे मांझा बरहटा के धरमू का पुरवा, मुजैहनिया व न्योरी का पुरवा में रहने वाले 500 परिवारों के करीब ढाई हजार से ज्यादा सदस्यों को अब घर व खेत उजड़ने का भय सता रहा है। यादव बहुल इस गांव में रहने वाले अधिकांश लोगों की जीविका का साधन खेती व मजदूरी है। ये सभी यहां तीन से चार पीढ़ियों से रह रहे हैं, जो अब सदमे में हैं।
किसानों को सता रहा गृहस्थी उजड़ने का डर
उनका कहना है कि भगवान श्रीराम की प्रतिमा जरूर लगे लेकिन किसी खाली स्थान पर... हमें उजाड़ कर नहीं। इसको लेकर स्थानीय लोगों ने अयोध्या के डीएम को एक पत्र लिखकर कहा है कि किसानों की गृहस्थी उजाड़ने की बजाए भगवान की राम की प्रतिमा को दूसरे जगह पर क्यों नहीं लगवाया जा रहा है। पत्र में यह भी कहा गया है कि भूमि अधिग्रहण अधिनयम के मुताबिक किसानों को कम से कम 60 दिन का समय दिया जाना चाहिए था लेकिन केवल 15 दिन का ही समय दिया गया।
इसको लेकर मांझा बरहटा के ग्राम प्रधान रामचंद्र यादव कहते हैं- '' ग्राम सभा में आने वाले तीन पुरवा हैं। हम वहां रहने वाले लोगों के लिए हर कदम उठाएंगे। हम उनको यहां मनमानी नहीं करने देंगे। जरूरत पड़ी तो हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाएंगे।'' अधिकारियों का कहना है कि किसानों से 10 फरवरी तक आपत्ति मांगी गई थी। 200 से ज्यादा शिकायतें मिलीं हैं जिन पर सुनवाई शुरू हो गई है।
अधिग्रहण से महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट होगा मालामाल
मांझा-बरहटा क्षेत्र में अधिग्रहीत की जा रही करीब 70 प्रतिशत जमीन महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट के नाम है जो 80 के दशक में किसानों से क्रय की गई थी। तब ट्रस्ट इस भूमि पर कब्जा नहीं ले पाया था। जब इन सभी जमीनों को क्रय किया गया था, तब यह बाढ़ ग्रस्त एरिया था, यहां आबादी नहीं थी। समय बीतने के साथ यहां बंधा बनने के बाद आबादी बस गई।
इसके बाद जमीन पर महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट का कब्जा न होने के कारण स्थानीय लोगों के साथ जमीन क्रय करने वाले किसानों के परिवार के साथ कुछ अन्य लोग भी इन जमीनों पर काबिज हो गए। इसके अलावा कुछ अन्य परिवार कई पीढ़ियों से इन जमीनों पर घर व खेती करते चले आ रहे हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अधिग्रहीत की जाने वाले 259 किसानों की भूमि में अकेले 174 अलग-अलग नंबरों के प्लाट महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट के नाम है। सरकार अब वास्तविक भू-स्वामी को सर्किल रेट से दो गुना मुआवजा देने का ऐलान किया है।
259 किसानों की 85.997 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण होगा
मांझा बरहटा इलाके के 259 किसानों की 85.997 हेक्टेयर जमीन को क्रय किया जाना है। जिसके लिए 15 दिनों के अंदर वहां के किसानों से आपत्तियां मांगी गई है। इस प्रोजेक्ट के तहत भगवान राम की विशाल प्रतिमा के साथ इस स्थल को टूरिस्ट सेंटर के तौर पर विकसित किया जाना है। जिसमें पार्क, म्यूजियम, लाइब्रेरी, फूड प्लाजा, लैंड स्केपिंग और राम कथा की गैलरी आदि का निर्माण होना है। जमीन खरीदने के लिए सरकार ने करीब सौ करोड़ का बजट जारी भी कर दिया है।
सरकारी गजट के अनुसार राष्ट्रीय राजमार्ग से सटे भूमि को 1.69 करोड़ प्रति हेक्टेयर, लिंक रोड से सटे भूमि को 1.24 करोड़ प्रति हेक्टेयर, खड़ंजा मार्ग से सटे भूमि को 1.21 करोड़ प्रति हेक्टेयर व कृषि भूमि को 75 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से मुआवजा दिया जाएगा।
वास्तविक भू-स्वामी को ही मिलेगा मुआवजा
क्षेत्रिय पयर्टन अधिकारी आरपी यादव ने कहा कि 259 किसानों की 85.997 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण पर्यटन विभाग के पक्ष में किया जा रहा है। इन सभी को सर्किल रेट से दोगुना ज्यादा मुआवजा दिया जाएगा। मुआवजा उन्हें ही मिलेगा जिनके नाम भूमि है। इसका पूरा विवरण नोटिफिकेशन में डीएम की ओर से जारी किया गया है।