पौष पूर्णिमा पर 10 जनवरी से माघ स्नान शुरू, गंदे पड़े गोमती के घाट


लखनऊ


पौष पूर्णिमा पर शुक्रवार 10 जनवरी से माघ स्नान शुरू हो रहे हैं, लेकिन इसके लिए शहर में एक भी घाट तैयार नहीं है। इस संदर्भ में शहर के विभिन्न समाजसेवी संगठनों ने कड़ा ऐतराज दर्ज करवाया है। किसी ने सीएम पोर्टल पर शिकायत दर्ज की है तो कोई इस संदर्भ में विरोध सभा करेगा।


'जन भावनाओं का सम्मान किया जाए'


मनकामेश्वर मठ मंदिर की महंत देव्यागिरि ने कहा कि हर पूर्णिमा पर जनजागृति के लिए उनकी अगुआई में आदि गंगा गोमती की आरती करवाई जा रही है। इसके साथ ही घाट पर होने वाले विभिन्न अनुष्ठान जैसे कि छठ पूजन का भी आयोजन किया जाता है। बावजूद इसके शासन स्तर पर आज भी गोमती उपेक्षित है। जन भावनाओं का सम्मान किया जाए।


उपेक्षित है कुड़ियाघाट


चौक का मुख्य गोमती घाट कुड़िया घाट तमाम जागरूकता अभियान के बाद भी उपेक्षित है। यही हाल नजदीक के कला कोठी घाट का भी है। न तो घाट से जलकुंभी हटवाई जा सकी है और न ही गोमती के किनारों से सिल्ट ही साफ हो पाई है। शुभ संस्कार समिति के महामंत्री ऋद्धि किशोर गौड़ ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पोर्टल पर उन्होंने गोमती के उपेक्षित घाटों की समस्याएं पोस्ट की हैं, लेकिन अब तक कोई हल नहीं निकाला जा सका है।

'रोका जाए 33 नालों का प्रवाह'


स्वच्छ पर्यावरण आंदोलन सेना लखनऊ संयोजक रंजीत सिंह के अनुसार छुटपुट सफाई से कुछ नहीं होने वाला। जरूरत है कि गोमती नदी में गिरने वाले 33 नालों का प्रवाह रोका जाए। ड्रेजिंग कर नदी के प्रवाह को बरकरार रखा जाए। उसके बाद लखनऊ के पारंपरिक घाट कुड़ियाघाट, देवराह घाट, पंखा घाट, लल्लूमल घाट, सीता रसोइया घाट को विकसित किया जाए।

'सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगवाए जाएं'


सनातन महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ.प्रवीण ने कहा कि नदी का पानी इतना अधिक गंदा हो चुका है कि उसमें स्नान संभव नहीं है। नदी में स्नान करने पर त्वचा और पेट की बीमारियां भी हो सकती हैं। घाट निर्माण से पहले जरूरी है कि गोमती को बचाने के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगवाए जाएं। इस संदर्भ में उन्होंने मुख्यमंत्री, नगर विकास मंत्री, सिंचाई विभाग, जल शक्ति विभाग को भी पत्र लिखे हैं। जल्द ही झूलेलाल घाट पर आमसभा करेंगे।