हिंदी को वैश्विक पहचान दिलाने की जरूरत -डॉo धनंजय

अमेठी।


हरिकेश यादव - सवांददाता (इंडेविन टाइम्स)


रणवीर रणंजय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, अमेठी में राष्ट्रीय सेवा योजना के सौजन्य से विश्व हिन्दी दिवस पर संगोष्ठी आयोजित किया गया। संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ0 त्रिवेणी सिंह ने कहा संविधान सभा ने एकमत से हिन्दी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया। आज विश्व के 130 विश्वविद्यालयों में हिन्दी भाषा पढ़ायी जाती है। फिजी की अधिकारिक भाषा हिन्दी है, पर आज हम स्वयं हिन्दी को वह सम्मान नहीं दे रहे हैं।


डॉ0 सिंह ने कहा हिन्दी भाषा में वह सभी गुण हैं जिनके बल पर हिन्दी को विश्व की साहित्यक भाषाओं की अगली श्रेणी में स्थापित किया जा सकता है। हिन्दी भाषा अभिव्यंजना से परिपूर्ण एक समृद्ध भाषा है। स्वागत करते हुए कार्यक्रमाधिकारी डॉ0 धनंजय सिंह ने कहा आज हिन्दी को वैश्विक पहचान दिलाने की जरूरत है। बाजार के युग में हम स्वयं हिन्दी का अधिक से अधिक प्रयोग कर हिन्दी को वैश्विक बना सकते हैं।



भारत सरकार द्वारा 2006 में हिन्दी को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए नार्वे के भारतीय दूतावास में प्रथम विश्व हिन्दी दिवस कार्यक्रम आयोजित किया। डॉ0 शिप्रा सिंह ने कहा आज हिन्दी भाषा का महत्व हम स्वयं नहीं समझते। कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ0 देवेन्द्र मिश्र ने कहा हिन्दी के शब्द सरल ही नहीं व्यावहारिक भी हैं। सभी के प्रति आभार डॉ0 मानवेन्द्र प्रताप सिंह ने व्यक्त किया। कार्यक्रम में डॉ0 दिलीप सिंह, डॉ0 ओ0पी0 त्रिपाठी, डॉ0 धर्मेन्द्र कुमार वैश्य, डॉ0 दयानन्द सिंह तथा डॉ0 राकेश कुमार सिंह सहित अनेक शिक्षक एवं राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयं सेवक उपथित रहे।



(फोटो - विश्व हिंदी दिवस पर व्याख्यान सुनते रणवीर रणंजय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के छात्र एवं छात्राएं)