जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला की नजरबंदी 3 महीने बढ़ी


श्रीनगर. 


जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला की नजरबंदी शनिवार को 3 महीने और बढ़ा दी गई। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के दौरान फारूक को जन सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में लिया गया था। उनके गुपकार रोड स्थित घर को उप-जेल घोषित कर दिया गया है, जहां वे पिछले 4 महीने से नजरबंद हैं। राज्य गृह विभाग के सलाहकार बोर्ड ने फारूक के मामले की समीक्षा की थी।


नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता पर फारूक पर 17 सितंबर को जन सुरक्षा कानून (पीएसए) लगाया गया था। वे जम्मू-कश्मीर के पहले ऐसे पूर्व मुख्यमंत्री हैं, जिन पर इस कानून के तहत कार्रवाई की गई है। ये कानून फारूक के पिता शेख अब्दुल्ला ने साल 1978 में लागू किया था। एमडीएमके नेता वाइको ने फारूक को नजरबंद करने के मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।


पीएसए कानून सिर्फ जम्मू-कश्मीर में लागू हो सकता है। देश के अन्य राज्यों में इसके समतुल्य राष्ट्रीय सुरक्षा कानून है। पीएसए के तहत एक अन्य धारा भी है जिसमें राज्य को सुरक्षा होने की आशंका के आधार पर किसी व्यक्ति को 3 से 6 साल तक बिना ट्रायल के हिरासत में रखा जा सकता है।


नजरबंद नेताओं को चरणबद्ध तरीके से रिहा किया जाएगा


फारूक के अलावा उनके बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती समेत अन्य पार्टियों के नेताओं को भी नजरबंदी में रखा गया है। जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि सभी नेताओं को चरणबद्ध तरीके से छोड़ा जाएगा। प्रशासन ने कई नेताओं को रिहा भी किया गया है। प्रशासन ने कोर्ट से बताया था कि अगर इन नेताओं को अभी रिहा कर दिया जाता है तो राज्य में कानून व्यवस्था से जुड़ी समस्या हो सकती है।