जानिए - 6 उंगलियों वाले लोग होते हैं बुद्धिमान और सौभाग्यशाली


हस्तरेखा ज्योतिष और सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार छ: उंगलियों वालों को सौभाग्यशाली माना जाता है। कुछ हाथों में लिटिल फिंगर के पास छठी उंगली होती है। वहीं कुछ हाथों में अंगूठे से जुड़ी होती है। इन दोनों ही स्थितियों को शुभ माना गया है। हाथों के अलावा कुछ लोगों के पैरों में भी छ: उंगलियां होती हैं। जो शुभ मानी जाती है। ऐसे लोग जिसके साथ रहते हैं तो उसको फायदा ही पहुंचाते हैं। जर्मनी की यूनिवर्सिटी ऑफ फ्रीबर्ग एंड इंपीरियल कॉलेज की हालिया रिसर्च में भी ये बात सामने आई है कि जिन लाेगाें के हाथाें अाैर पैराें में छह उंगलियां हाेती हैं, वे पांच उंगलियाें वाले की अपेक्षा काम काे ज्यादा बेहतर तरीके से अंजाम देते हैं। उनका दिमाग पांच उंगलियाें वालाें से ज्यादा तेज गति से काम करता है। साथ ही हर काम में बेहतर संतुलन बनाए रखता है।


क्यों होती हैं छ: उंगलियां 


शोधकर्ताओं का कहना है कि हाथ या पैर में अतिरिक्त उंगलियां होना कोई बीमारी नहीं होती। इसे विज्ञान की भाषा में पॉलिडेक्टिली कहते हैं। ऐसा 800 में से एक व्यक्ति को होता है। औसतन 500 में से एक व्यक्ति सर्जरी कर इसे निकलवा भी लेता है। यूनिवर्सिटी के बायोइंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर एटीने बर्डेट का कहना है कि ऐसा अमूमन जन्मजात होता है, लेकिन किसी ने इस बात की स्टडी नहीं की कि यह कितना उपयोगी हो सकता है।


सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार -


1. जिन हाथों में 1 अतिरिक्त उंगली होती है वो अगर लिटिल फिंगर के पास है तो उस पर बुध पर्वत का ही प्रभाव रहेगा। इसके अलावा अंगुठे से जुड़ी उंगली पर शुक्र पर्वत का ही प्रभाव रहेगा। हस्तरेखा में ऐसी उंगलियों के लिए अलग से किसी पर्वत का उल्लेख नहीं है। यानी इस अतिरिक्त अंगुली का अपना स्वतत्रं अस्तित्व नहीं होता है।


2. हस्तरेखा और सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार जिन लोगों के हाथ में छः अंगुलियां होती हैं, वो भाग्यशाली होते हैं। जिस व्यक्ति के हाथ में 10 से अधिक उंगलियां हैं, वह अधिक फायदा कमाने वाला और हर काम में छानबीन करने वाला होता है।


3. ऐसे लोगों का दिमाग तेज चलता है। ये लोग अपना काम पूरी ईमानदारी और मेहनत से करते हैं, लेकिन ये दूसरे के कामों में हमेशा कमी निकालते हैं। इसलिए कभी-कभी अन्य लोगों से इनके संबंध बिगड़ जाते हैं। ऐसे लोग अच्छे आलोचक भी माने जाते हैं। 


4. सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार हाथों की उंगलियों की संख्या और बनावट इंसान के मस्तिष्क को प्रभावित करती है। इसलिए प्राचीन काल से ही ऋषि-मुनि उंगलियों और अंगूठे को आपस में मिलकर अलग-अलग मुद्रा बना कर ध्यान लगाते थे।