लखनऊ
यूपी के किसान और छोटे उद्यमी अब बिचौलियों के चंगुल से निकलकर खुद अपनी फसल का निर्यात करेंगे। उनके प्रॉडक्ट को प्राइमरी प्रॉसेसिंग के बाद यूरोपियन देशों में पहुंचाया जाएगा। इसके लिए सरकार किसानों और उद्यमियों को सब्सिडी भी देगी। उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग की ओर से कई किसानों और उद्यमियों को प्रशिक्षित भी किया जा रहा है। इनका जल्द ही रजिस्ट्रेशन भी करवाया जाएगा।
यूपी के किसान और छोटे उद्यमी जल्द ही एक्सपोर्टर की भूमिका में भी नजर आएंगे। निदेशक, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण डॉ. एसबी शर्मा ने बताया कि अब तक किसान और छोटे उद्यमी अपना प्रॉडक्ट सिर्फ तैयार करते थे। उनके प्रॉडक्ट का निर्यात दूसरे लोग करते थे। इस वजह से उन्हें प्रॉडक्ट की काफी कम कीमत मिलती थी।
खुद करेंगे अब निर्यात
सरकार अब प्रॉडक्शन करने वालों को ही उनके प्रॉडक्ट के निर्यात के लिए तैयार करने जा रही है। वह खुद अपना प्रॉडक्ट तैयार करेंगे और खुद ही निर्यात भी करेंगे। इसके लिए उन्हें प्रॉडक्ट की प्राइमरी प्रॉसेसिंग के लिए वेयर हाऊस उपलब्ध करवाया जाएगा। प्रॉडक्ट की प्रॉइमरी प्रॉसेसिंग के लिए अन्य इकाइयों की मदद ली जाएगी।
पेस्टीसाइड रहित प्रॉडक्ट का होगा निर्यात
उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के उपनिदेशक डॉ. आरके सिंह ने बताया कि यूरोपियन देशों में निर्यात की योजना बनाई गई है। इन देशों में पेस्टीसाइड रहित प्रॉडक्ट की ही डिमांड है। इसीलिए आम, आलू, स्ट्राबेरी, हरी मटर और चावल के निर्यात की तैयारी करवाई जा रही है। इच्छुक किसानों व उद्यमियों को प्रशिक्षण देने के लिए इंडिया फूड एक्सपो में शामिल हो चुके दो विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है। लखनऊ में मलिहाबाद, इटावा, मैनपुरी और बाराबंकी के आधा दर्जन से अधिक किसानों को प्रशिक्षण दिया गया है। अगला प्रशिक्षण कार्यक्रम वाराणसी में आयोजित किया जाएगा।
मॉस्को और रीगा जाएगा मलिहाबाद का आम
मॉस्को और रीगा में भारत के काफी लोग रहते हैं। वहां मलिहाबाद के आम और यूपी के आलू की काफी डिमांड है। इसीलिए आम और आलू की वैकुम स्लाइस तैयार कर उसकी पैकिंग करवाकर उसे भेजा जाएगा। वैकुल स्लाइस बनवाने के लिए लखनऊ के एक इंस्टिट्यूट से उद्यान प्रसंस्करण विभाग संपर्क कर रहा है।
मंडी परिषद करेगा प्रॉडक्ट का ब्रैंड प्रमोशन
किसानों और उद्यमियों के प्रॉडक्ट का यूरोपियन देशों में प्रमोशन करने में मंडी परिषद भी मदद करेगा। मंडी परिषद इसके लिए कार्ययोजना तैयार कर रहा है। यूपी में तैयार किए गए प्रॉडक्ट्स के निर्यात प्रोत्साहन के लिए एफओबी (फ्लोट ऑन बोट) मूल्य का 20 प्रतिशत (अधिकतम 20 लाख रुपये) प्रति वर्ष की दर से तीन साल तक सरकार की ओर से अनुदान भी दिया जाएगा।
नमूने भेजने से लेकर उत्पाद पहुंचाने तक में होगी मदद
उत्पाद का नमूने विदेशों में भेजने में भी सरकार मदद करेगी। प्रॉडक्शन यूनिट लगाने वाले को नमूना भेजने के लिए अधिकतम दो लाख रुपये का अनुदान दिया जाएगा। इसके अलावा निर्यात के लिए उत्पाद को एयरपोर्ट/समुद्री पोर्ट तक पहुंचाने में होने वाले खर्च का 25 प्रतिशत सरकार तीन वर्ष तक अनुदान के रूप में देगी।