सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कर्नाटक का सियासी 'नाटक' दिलचस्प


नई दिल्ली/बेंगलुरू



कर्नाटक के दल बदलुओं पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राज्य का सियासी 'नाटक' दिलचस्प हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने आज अयोग्य करार देने के पूर्व स्पीकर के फैसले को बरकरार रखा पर अनिश्चितकाल तक विधायकों के चुनाव लड़ने पर पाबंदी हटा दी। इससे 17 अयोग्य विधायकों को बड़ी राहत मिली है और अब वे 5 दिसंबर को होने वाला उपचुनाव लड़ सकते हैं। आपको बता दें कि 17 में से 15 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं क्योंकि 2 सीटों- मस्की और राजराजेश्वरी से संबंधित याचिकाएं कर्नाटक हाई कोर्ट में पेंडिंग हैं। उधर, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी की टेंशन जरूर बढ़ने वाली है।


दरअसल, नाटकीय घटनाक्रम के तहत कुछ महीने पहले अपने ही विधायकों के पाला बदलने से कांग्रेस और जेडीएस की गठबंधन सरकार गिर गई थी। स्पीकर ने 17 विधायकों को अयोग्य करार दिया तो बीजेपी ने आसानी से सरकार बना ली। हुआ यूं कि विधायकों को अयोग्य करार देने के बाद विधानसभा की संख्या 207 हो गई और बहुमत 104 पर आ गया। बीजेपी के पास 106 विधायकों का समर्थन था, जिसमें उसके 105 और एक अन्य थे। ऐसे में उसकी सरकार बनने में कोई दिक्कत नहीं हुई।


15 सीटों पर उपचुनाव होंगे तो विधानसभा की संख्या भी बढ़ जाएगी और बहुमत का आंकड़ा बढ़ेगा। येदियुरप्पा सरकार को सत्ता में बने रहने के लिए 15 सीटों के उपचुनावों में बीजेपी के लिए हर हाल में 6 सीटें जीतना जरूरी हो गया है। इस समय विधानसभा का हाल देखें तो 207 सीटों में से बीजेपी+ के पास 106 सीटें हैं। जिन सीटों पर उपचुनाव होनेवाले हैं, फिलहाल वहां की 3 सीटें जेडीएस और 12 सीटें कांग्रेस के पास थीं। अब इस बात की प्रबल संभावना है कि बीजेपी ज्यादातर सीटों पर बागियों को ही चुनाव लड़ाए।


सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि स्पीकर किसी विधायक को असेंबली के कार्यकाल तक के लिए अयोग्य नहीं ठहरा सकते। SC ने कहा है कि अगर ये बागी जीते तो स्टेट कैबिनेट में मंत्री भी बन सकते हैं। आपको बता दें कि जुलाई में कर्नाटक के तत्कालीन स्पीकर रमेश कुमार ने 17 विधायकों को अयोग्य ठहराया था और असेंबली के कार्यकाल तक चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगा दी थी।