स्लो हुई देश के विकास की रफ्तार, दूसरी तिमाही में GDP गिरकर हुई 4.5%


मुंबई


अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर बुरी खबर है। मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही यानी जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट गिरकर 4.5 प्रतिशत पर आ गई है। पिछली 26 तिमाहियों में यह भारतीय अर्थव्यवस्था की सबसे धीमी विकास दर है। एक साल पहले यह 7 प्रतिशत थी जबकि पिछली तिमाही में यह 5 प्रतिशत थी। इसके अलावा, अक्टूबर महीने में 8 कोर सेक्टरों का इंडस्ट्रियल ग्रोथ -5.8 प्रतिशत रही है।


पहले 7 महीने में ही राजकोषीय घाटा लक्ष्य से पार
राजकोषीय घाटा के मोर्चे पर भी बुरी खबर है। 2018-19 के पहले 7 महीनों यानी अप्रैल से अक्टूबर के बीच ही राजकोषीय घाटा मौजूदा वित्त वर्ष के लक्ष्य से ज्यादा हो गया है। पहले 7 महीनों में राजकोषीय घाटा 7.2 ट्रिलियन रुपये (100.32 अरब डॉलर) रहा जो बजट में मौजूदा वित्त वर्ष के लिए रखे टारगेट का 102.4 प्रतिशत है।

सरकार की तरफ से शुक्रवार को जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल से अक्टूबर की अवधि में सरकार को 6.83 ट्रिलियन रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ जबकि खर्च 16.55 ट्रिलियन रुपये रहा।


क्‍या है जीडीपी का आंकड़ा?


किसी भी देश की आर्थिक सेहत को मापने का सबसे अहम पैमाना जीडीपी के आंकड़े होते हैं. ये आंकड़े बताते हैं कि देश की आर्थिक स्थिति क्‍या है और आने वाले दिनों में अर्थव्‍यवस्‍था की क्‍या दिशा होगी. भारत में जीडीपी आंकड़ों की गणना हर तीसरे महीने यानी तिमाही के आधार पर होती है.


ये आंकड़े मुख्य तौर पर आठ औद्योगिक क्षेत्रों- कृषि, खनन, मैन्युफैक्चरिंग, बिजली, कंस्ट्रक्शन, व्यापार, रक्षा और अन्य सेवाओं के क्षेत्र के होते हैं. इसके बाद सीएसओ जो आंकड़े जारी करता है उसे ही आधिकारिक माना जाता है. इन आंकड़ों को अलग-अलग मंत्रालय से सरकारी संस्‍था केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) जुटाता है. इसके बाद सीएसओ इसकी गणना कर आंकड़े जारी करता है. जीडीपी के यही आंकड़े आधिकारिक माने जाते हैं.