सीईओ आचार्य बालकृष्ण बोले -जीएसटी ने खराब की पतंजलि की हालत

 

पतंजलि आयुर्वेद की हाल के समय में हालत पहले की तुलना में काफी खस्ता हुई है। नीलसन के आंकड़ों के अनुसार कंपनी की बाजार हिस्सेदारी में कमी आई है। कंपनी ने डिटर्जेंट, हेयर केयर, साबुन और नूडल्स कैटेगरी में जुलाई 2018 से जुलाई 2019 के बीच बाजार में बड़ी हिस्सेदारी गंवाई है।

 

खबर के अनुसार कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बालकृष्ण ने बाजार में हिस्सेदारी में आई कमी और कंपनी के व्यवसाय के प्रभावित होने के पीछे माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को जिम्मेदार ठहराया है। बालकृष्ण ने कहा कि जीएसटी के लागू होने के बाद से कंपनी के बिजनेस पर बड़ा प्रभाव पड़ा।

 

सीईओ ने कहा कि जीएसटी के साथ अपने ट्रेड, सप्लाई और डिस्ट्रीब्यूशन का तालमेल बैठाने में हमें समय लग गया। हालांकि, उन्होंने कहा कि हम अप फिर से वापसी कर रहे हैं। इस बात का नतीजा आपको आने वाली तिमाहियों में देखने को मिलेगा। मालूम हो कि जुलाई से सितंबर 2019 की तिमाही में कंपनी की सेल्स पिछले साल की समान अवधि के 1576 करोड़ रुपये के मुकाबले 1769 करोड़ रुपये रही।


आंकड़ों पर नजर डालें तो पिछले कुछ सालों में कंपनी की बिक्री में कमी देखने को मिली है। जब कंपनी का प्रदर्शन अपने चरम पर था उस समय कंपनी की सेल 2017 को खत्म हुए वित्त वर्ष में 10,500 करोड़ रुपये थी। वित्त वर्ष 2018 में यह 10 फीसदी गिरकर 8135 करोड़ रुपये पर पहुंच गई। बालकृष्ण ने कहा कि हमने इस तिमाही में अच्छा प्रदर्शन किया है और आने वाली तिमाहियों में भी अच्छा प्रदर्शन करेंगे।


उन्होंने कहा कि पतंजलि नई कैटेगरी में उतरने और अपने रिटेल क्षेत्र का दायरा बढ़ाने की बजाय अपनी खोई जमीन को पाने पर जोर देगी। खबर के अनुसार बालकृष्ण ने कहा कि हमनें रिसर्च और डेवलपमेंट में भारी निवेश किया है। नीलसन के अनुसार पिछले महीने जारी तिमाही रिपोर्ट में एफएमसीजी सेक्टर ओवरऑल 7.3 फीसदी की रफ्तार से बढ़ा है।

इससे पहले वह पिछले साल की समान तिमाही में 16.2 फीसदी की रफ्तार से वृद्धि कर रहा था। रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण भारत में खपत में बढ़ोतरी पिछले 7 साल में सबसे कम 7 फीसदी रही।