राम को अब रोटी से जोड़े योगी सरकार - कल्याण सिंह


लखनऊ
राम मंदिर विवाद पर अब तक चुप्पी साधे रहे पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने सु्प्रीम कोर्ट के फैसले को पारदर्शी और विधि सम्मत बताया है। उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि वह अब राम को रोटी से जोड़े, जिससे लोगों को रोजगार मिले। वह अपने पौत्र और सरकार में मंत्री संदीप सिंह के माल एवेन्यू स्थित आवास पर सोमवार को पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।


कल्याण सिंह ने कहा कि उन्हें यह उम्मीद भी है कि योगी सरकार अयोध्या का इस तरह से विकास करेगी कि वहां रोजगार के साधन उपलब्ध होंगे। उन्होंने कहा कि यहां दुनिया का सबसे भव्य मंदिर बनना चाहिए और अयोध्या का इतना विकास होना चाहिए कि पूरे विश्व से जब लोग यहां आएं तो कहें कि यह राम की नगरी है।

राम जन्मभूमि राजनीतिक नहीं, सांस्कृतिक मुद्दा
क्या अब भाजपा के पास राम मंदिर पर राजनीति का मुद्दा खत्म हो गया है? इस सवाल पर कल्याण सिंह ने कहा कि हम राम मंदिर के मुद्दे को राजनीति से नहीं जोड़ते। यह मुद्दा पूरी तरह सांस्कृतिक है और आस्था से जुड़ा है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे देखते हुए फैसला दिया है। यह फैसला पूरी तरह समावेशी है, जिस वजह से किसी ने भी फैसले के विरोध में आवाज नहीं उठाई। मस्जिद को लेकर पांच एकड़ जमीन देने पर कल्याण सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने समाज की एकता और अखंडता का भी ध्यान रखा है।

कल्याण सिंह ने कहा कि राम मंदिर आंदोलन के पहले दिन हमने जो सपना देखा था, वह अब पूरा हुआ है। देश के लिए 9 नवंबर 2019 का दिन ऐतिहासिक था। राम मंदिर के लिए बनने वाले ट्रस्ट में वह रहेंगे या नहीं? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि ट्रस्ट में कौन रहेगा या नहीं, यह सरकार तय करेगी। मेरा अनुमान है कि वर्ष 2022-23 तक राम मंदिर बन जाएगा।

यह पूछने पर कि क्या वह अयोध्या जाएंगे, कल्याण सिंह बोले कि मैं अयोध्या जरूर जाऊंगा। मैं पहले दिन से ही राम भक्त हूं। पहले दिन से ही अयोध्या के विकास और मंदिर निर्माण के बारे में सोचता रहा हूं। मंदिर का शिलान्यास कौन करेगा? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि यह कोई भी कर सकता है? सीएम योगी या प्रधानमंत्री भी कर सकते हैं। हमारे यहां तो बिहार में 1989 में अनुसूचित जाति के युवक ने भी मंदिर का शिलान्यास किया है।

सुप्रीम कोर्ट ने आप पर 6 दिसंबर, 1992 को लॉ ऐंड ऑर्डर का पालन न कर पाने पर सवाल किए हैं? इस सवाल पर कल्याण सिंह ने कहा कि हमने उसी दिन शाम को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर इसकी कीमत अदा कर दी थी। विवादित परिसर के चारों ओर सुरक्षा की दृष्टि से सरकार ने खाई खोदवा दी थी, पर लोग इसे बजरी, पत्थरों और ईटों से भर रहे थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुख्यमंत्री इसे रोकें, लेकिन तीसरे दिन इस पर रोक लग पाई। कोर्ट ने मुझे अवमानना के चलते एक दिन जेल में भेज दिया था।

कल्याण सिंह ने इस दौरान बाबरी विध्वंस केस पर टिप्पणी से इनकार कर दिया। मुख्यमंत्रित्व काल में क्या कानून-व्यवस्था की खराब स्थिति के चलते विवादित ढांचा गिरा? इस सवाल पर कहा कि मामले की जांच सीबीआई ने की है। अभी मामला कोर्ट में है, जिसमें लालकृष्ण आडवाणी, उमा भारती, विनय कटियार सहित कई बड़े नेता आरोपित हैं। मेरे खिलाफ 39 गवाहों की सूची सीबीआई ने पेश की है। इनमें अभी सात की सुनवाई हुई है। गवाहों के बयान अभी दर्ज हो रहे हैं।