देशभर के निजी मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई करने वाले छात्रों और उनके परिजनों को बड़ी राहत मिल सकती है। निजी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की आधी सीटों की फीस 70% तक, जबकि पोस्ट ग्रेजुएशन की फीस 90% तक घटाने की तैयारी है। नए नियमों से संबंधित ड्राफ्ट स्वास्थ्य मंत्रालय ने तैयार करा लिया है। दिसंबर के आखिरी हफ्ते या जनवरी 2020 में ड्राफ्ट को सार्वजनिक किया जाएगा।
देश में मेडिकल एजुकेशन का जिम्मा अभी बोर्ड ऑफ गवर्नर्स (बीओजी) के जिम्मे है। इसी बोर्ड को सरकार ने एमबीबीएस और पीजी सीट की फीस तय करने के लिए ड्राफ्ट बनाने का जिम्मा दिया है। बीओजी के सूत्रों के अनुसार, निजी कॉलेजों की 50% एमबीबीएस सीटों की सालाना फीस 6 लाख से 10 लाख रु. तक होगी।
दिल्ली, महाराष्ट्र जैसे कई राज्यों के निजी कॉलेजों में एमबीबीएस की सालाना फीस 25 लाख रु. तक है। मध्यप्रदेश, यूपी जैसे कुछ राज्यों में 10-12 लाख रु. है। देश में एमबीबीएस की 80 हजार सीटें हैं, जिनमें से 40 हजार निजी कॉलेजों में हैं। इनमें से आधी, यानी 20 हजार सीटों की फीस केंद्रीय नियमों के मुताबिक तय करने की तैयारी है।
पीजी में दाखिला मिलते ही छात्र संबंधित मेडिकल कॉलेज या अस्पताल में इलाज शुरू कर देते हैं। पीजी में थ्योरी से ज्यादा जोर इलाज पर रहता है। क्लास रूम की पढ़ाई से ज्यादा सेल्फ स्टडी होती है। सरकारी मेडिकल कॉलेज से पीजी कर रहे छात्रों को हर माह सरकार 50 हजार से 95 हजार रु. तक भत्ता देती है। दिल्ली में एम्स पीजी छात्रों को हर महीने 95 हजार रुपए भत्ता देता है। दूसरी ओर, निजी मेडिकल कॉलेज में भी पीजी करने के दौरान स्टाइपेंड के तौर पर कुछ राशि दी जाती है। लेकिन, जो फीस ली जाती है, उसकी तुलना में भत्ते की रकम बहुत मामूली होती है।
ड्राफ्ट के मुताबिक, पीजी कोर्स की फीस 90% तक घटाई जाएगी। 10% फीस भी छात्रों के रहने से लेकर लाइब्रेरी, रिक्रिएशन, लैब और मेडिकल कॉलेज के अन्य खर्च की वजह से ली जाएगी। अभी यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है कि फीस की सीमा क्या होगी, लेकिन सैद्धांतिक तौर पर यह फैसला हो चुका है कि फीस 90% तक कम की जाएगी। आधी सीटों की फीस केंद्रीय नियमों के अनुसार तय होगी, जबकि आधी सीटों पर फीसपहले की तरह ही संबंधित राज्य में बनी कमेटी तय करती रहेगी। ये सारी बातें ड्राफ्ट में शामिल की गई हैं। अब आखिरी फैसला नेशनल मेडिकल कमीशन को करना है।