मोदी-शाह के दबाव में लिया महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन का फैसला: दिग्विजय सिंह


कानपुर। महाराष्ट्र में जारी सियासी उठापटक के बीच मंगलवार को लागू हुए राष्ट्रपति शासन पर कांग्रेस के सीनियर नेता दिग्विजय सिंह ने आपत्ति जताई है। दिग्विजय ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू करने का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के दबाव में लिया गया है।


कानपुर में एक कार्यक्रम में भाग लेने आए दिग्गज कांग्रेसी नेता दिग्विजय ने कहा, 'पहली बात तो यह है कि महाराष्ट्र के राज्यपाल ने जो प्रक्रिया शुरू की, वह सही थी। पहले सबसे बड़ी पार्टी, फिर दूसरे नंबर की पार्टी को सरकार बनाने का न्योता दिया। तीसरी सबसे बड़ी पार्टी को रात साढ़े आठ बजे तक सरकार बनाने का वक्त दिया गया था। फिर ऐसा क्या कारण हुआ कि दोपहर में उन्होंने राष्ट्रपति शासन को लागू करने की अनुशंसा केंद्र सरकार से कर दी।'


मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय ने कहा, 'जो भी नियम-कानून है, उसके अनुसार स्पष्ट बहुमत नहीं होने की स्थिति में सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने का मौका देना चाहिए। हालांकि बीजेपी में गोवा, मणिपुर, मेघालय में इस प्रक्रिया को नहीं अपनाया था, लेकिन यहां अपनाया। फिर ऐन वक्त पर जो बदलाव हुआ है वह निश्चित तौर पर प्रधानमंत्री और नरेंद्र मोदी के दबाव में यह निर्णय लिया गया है। इस पर हमें आपत्ति है।'

गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से जारी सियासी उथल-पुथल के बीच राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने महाराष्ट्र में राज्यपाल शासन को मंजूरी दे दी है। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने अपनी सिफारिश में कहा था राज्य में कोई भी दल सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है इसलिए यहां राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिए। इससे पहले पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट मीटिंग में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई थी। बता दें कि इससे पहले राज्यपाल ने बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी को सरकार बनाने का मौका दिया था। गृह मंत्रालय का कहना है कि राज्यपाल की तरफ से राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करते हुए कहा गया था कि राज्य में संविधान के मुताबिक सरकार गठन मुश्किल नजर आ रहा है। राज्यपाल ने अनुच्छेद 356 का इस्तेमाल करते हुए सूबे में राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा की।

'मोदी सरकार से वही लड़ सकता है, जिस पर ईडी और सीबीआई के मामले न हों'
दिग्विजय सिंह ने मंगलवार को यहां कहा कि मोदी सरकार से वही लड़ सकता है, जिसके ऊपर ईडी और सीबीआई के मामले न चल रहे हों, क्योंकि सरकार इन जांच एजेंसियों को हथियार के रूप में इस्तेमाल करती है। दिग्विजय ने कहा,'ईवीएम से बनी इस मोदी सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों से वही लड़ सकता है, जिसके खिलाफ सीबीआई, ईडी आदि की जांच न चल रही हो, क्योंकि सरकार आयकर से लेकर इन विभागों को हथियार बनाकर काम कर रही है।'

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा,'अमित शाह और मोदी का आजादी की लड़ाई में कोई योगदान नहीं है, इसलिए वे सरदार पटेल की मूर्ति बनाकर फायदा लेना चाहते हैं। केंद्र में मजदूर विरोधी सरकार बैठी है। लाभ के सार्वजिनक उपकरण बेचने की सरकार साजिश कर रही है। सार्वजनिक क्षेत्र बर्बाद हो गया है।' बीजेपी सरकार पर हमलावर बोलते हुए उन्होंने कहा कि पटेल दुग्ध उत्पादों पर टैक्स लगाने के पक्ष में नहीं थे, लेकिन भाजपा सरकार ने इस पर भी टैक्स लगा दिया।

कांग्रेस नेता ने कहा, 'बीएसएनएल के 70 हजार कर्मी वीआरएस लेने की लाइन में खड़े हैं। कैसी स्थिती है यह। कानपुर कभी मैन्चेस्टर रहा है। लेकिन यहां का कपड़ा उद्योग खत्म कर दिया गया।' उन्होंने कहा, 'केंद्र सरकार उद्योगों को खड़ा करने के नाम पर श्रमिकों के काम के घंटे आठ से नौ करने का बिल ला रही है। जबकि जापान जैसा देश फाइव डे के बजाय फोर डे वीक कर रहा है।'