मशरूम की खेती से बने मोटी कमाई वाले व्यवसायी


मशरूम की खेती भारत में बहुत ही तेजी के साथ लोकप्रिय होती जा रही हैं क्योंकि यह न केवल हमारे आहार आवश्यकताओं को पूरा करती हैं बल्कि यह हमारे लिए कमाई का ज़रिया भी हैं वो लोगो के लिए जिनके पास ज्यादा ज़मीन नहीं हैं खेती करने के लिए वो अपने घर में भी आराम से मशरुम की खेती कर सकते हैं


आज कल मशरूम की खेती करना लोगों का एक शौक होती जा रहा हैं घर की महिलाये अपने घर के काम के साथ मशरुम की खेती आराम से कर सकती हैं मशरुम की खेती करना कोई मुश्किल काम नहीं हैं अगर आप उत्पादक बढ़हाने के लिए कुछ सरल नियमों का पालन करे


आप अपने घर पर ही कोई कंटेनर यह बॉक्स में मशरुम ऊगा सकते हैं और यह लगभग छह सप्ताह के भीतर, एक कमरे के अंदर एक अत्यधिक लाभदायक फसल के रूप में तैयार हो जाता हैं मशरूम की खेती आप किसी भी कमरे, शेड, बेसमैंट, गेराज इत्यादि में कर सकते हैं जो अच्छी तरह से हवादार होना चाहिए हालांकि आप मशरुम की खेती अपने घर के बहार कोई छायादार स्थानों में भी कर सकते हैं


मशरूम के प्रकार

वैज्ञानिकों के अनुसार पूरी दुनिया में मशरूम के 10000 से भी ज्यादा प्रजाति पाई जाती है पर इनमे से कुछ ही प्रजातियों का उपयोग हम अपने भोजन में करते हैं इनमे से 5 इस प्रकार हैं बटन मशरूम, पैडी स्ट्रॉ, स्पेशली मशरूम, दवाओं वाली मशरूम, धिंगरी या ओएस्टर मशरूम हैं


पर जब व्यक्ति व्यापारिक दृष्टिकोण से इसका उत्पादन करता है, तो वह ध्यान रखता है की किस किस्म के मशरूम की अधिक मांग है, साथ ही कौन सी मशरूम अधिक पैदा वार देती है इस हिसाब से मशरूम की सिर्फ तीन प्रजाति है, जो अच्छी पैदावार देती है बटन मशरूम, पैडी स्ट्रॉ, धिंगरी या ओएस्टर मशरूम इस तीन तरह के मशरूम से अच्छा उत्पादन पाया जा सकता है


मशरूम का बिजनेस क्या है?

बहुत से लोगो को यह भ्रम होता है कि मशरूम पौधा है, क्योंकि इसके उत्पादन के लिए भी वही प्रक्रियाएं अपनाई जाती है, जो बाकी सभी फसलों के साथ अपनाते हैं लेकिन मशरूम कोई पौधा नही है, लेकिन यह पौधे का काफी करीबी होता है मशरूम एक कवक है, जिसका उपयोग आज हर जगह भोजन में किया जाने लगा है जब कोई भी व्यक्ति मशरूम की खेती इस वजह से करता है की वह इसके द्वारा खाने योग्य मशरूम का उत्पादन कर सके, यही मशरूम फार्मिंग कहलाता है


मशरूम फार्मिंग का बिजनेस कैसे करे?

मशरूम का बिजनेस करने के लिए सबसे पहले मशरूम की खेती करने से जुड़ी सभी छोटी बड़ी बातों का ज्ञान होना जरूरी है जैसे कि मशरूम की खेती के लिए किस विधि का उपयोग करते हैं मशरूम के उत्पादन के बाद उनका बिजनेस कैसे करना है इसके लिए आपकी मार्केटिंग की योजनाएं क्या होगी इस सब बातों का ज्ञान होने के बाद ही इस बिजनेस में अपने हाथ आगे बढ़ाएं


कॉम्पोस्ट खाद बनाना

मशरूम की खेती में कॉम्पोस्ट खाद का अहम रोल होता है कॉम्पोस्ट खाद आप धन या गेहूं के भूसे के माध्यम से बना सकते है इसके लिए आपको करीब 1450 लीटर पानी लेना होता है उसमे आपको 1.5 किलोग्राम फार्मलीन एवं 150 ग्राम बेवस्टीन मिलाकर इसमे 1 क्विंटल और 50 किलोग्राम भूसा को भिगो देते हैं इसके बाद इस मिश्रण को कुछ समय के लिए ढक कर रखा जाता है यह प्रक्रिया इस लिए की जाती है ताकि भूसा शुद्ध हो जाये भूसा का शुद्धिकरण बहुत जरूरी रहता है यदि भूसा शुद्ध नही होगा तो मशरूम का उत्पादन सही से नही हो पायेगा



मशरूम की बुवाई

मशरूम के लिये भूसा तैयार होने के बाद बारी आती है, मशरूम के बुवाई की मशरूम की बुवाई से पहले आपको पानी मे भीगे हुए भूसे को निकालकर हवा में फैलाना होता है, ताकि उसमे मौजूद पानी और नमी सुख जाए इसके बाद आपको इसके बीज बोने के लिए पॉलीथिन के बैग्स लेने पड़ेंगे, जिनकी साइज 16 बाई 18 होना चाहिए


इन पोलीथिन के बैग में सबसे पहले भूसा डाल दीजिए, उसके बाद मशरूम के दानों का छिड़काव करिए इसके बाद इन दानों के ऊपर एक बार फिर भूसा की परत चढ़ा दीजिये फिर इस परत के ऊपर एक बार मशरूम के दाने का छिड़काव करिए ऐसा कम से कम 4 बार चढ़ानी पड़ेगी


इस पॉलीथिन के बैग में आपको दोनों कोनों पर छेंद करना जरूरी होता है, जिससे भूसे का अतिरिक्त पानी आदि निकल जाए यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद बैग्स को ऐसी जगह पर रखें जहां हवा लगने की गुंजाइश बहुत कम ही हो हर तरह के मशरूम के लिए उसकी बुवाई की प्रक्रिया में थोड़ा फर्क होता है कुछ मशरूम ऐसे होते हैं जिनके बुवाई के लिए भूसे और मशरूम के दाने को एक साथ मिला लिया जाता है


मशरूम को हवा से बचा के रखना

मशरूम को शुरू में हवा से बचाकर रखना बहुत जरूरी होता है नही तो नमी के कारण खराब भी हो सकते हैं नमी से बचाने के लिए इन बैग को किसी कमरे में रख दें, जहां हवा का प्रवेश लगभग निषिद्ध हो किसी कमरे में इन्हें रखकर 15 दिनों के लिए वह कमरा बंद करके रख दें 15 दिन बीत जाने के बाद इसे हवा दिया जा सकता है इसलिए अब दरवाजे को खोल दें, साथ ही कमरे में एक पंखे की व्यवस्था कर दें, ताकि इन मशरूम को हवा मिल सके 15 दिनों बाद मशरूम के सफेद रंग को देखा जा सकता है


मशरूम के थैले रखने के तरीके

मशरूम की अच्छी पैदावार के लिए इनके थैलों को अच्छे से रखना बेहद जरूरी होता है इनका सही तरह से रखरखाव जरूरी है इनको रखने के लिए आप कमरे में लोहे आदि का एक पलंग नुमा जंजाल बनाकर उसमें इन बैग को रख सकते हैं इसके अलावा लकड़ी के माध्यम से उन्हें टांगने आदि की व्यवस्था भी की जा सकती है


मशरूम के फसल की कटाई कब करना चाहिए

यदि मशरूम के फसल के तैयार होने की अवधि देखे तो यह 30 से 40 होती है इतने अवधि में यह पौधे कटाई के लिए तैयार हो जाते है


मशरूम की खेती के लिए ट्रेनिंग

यदि आपको मशरूम की खेती जे जुड़े अनुभव हासिल करने है तो देश मे ऐसे कई विश्वविद्यालय और कृषि से संबंधित क्षेत्र हैं जो इसकी खेती से जुड़ी ट्रेनिंग कराते हैं इसके साथ इसकी खेती से जुड़ी अधिक जानकारी आपको अपने शहर के किसान सहायता केंद्र से भी मिल जाएगी, जहां आप इसकी खेती से संबंधित सभी जानकारी हासिल कर सकते हैं


मशरूम की खेती के लिए सरकारी सहायता

इसके खेती के संबंध में सरकार भी मदद करती है हरियाणा की सरकार ने इस खेती के लिए अच्छे कदम बढ़ाये हैं सरकार ने किसानों को इसकी खेती के लिए प्रशिक्षण देने का फैसला किया है सरकार छोटे किसानों को मशरूम के हर बैग पर 40% तक कि सब्सिडी दे रही है वही मझोले किसान भी सरकार से 20% की सब्सिडी पा रहे हैं यदि आप बिना सब्सिडी के खेती करने में सक्षम है तो आप को कोई पंजीकरण कराने के जरूरत नही होती है