इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने वाले 'इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट (उत्पादन, विनिर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, विक्रय, वितरण, भंडारण एवं विज्ञापन ) प्रतिबंध विधेयक' को लोकसभा ने बुधवार को पारित कर दिया। केंद्र सरकार ने ई-सिगरेट के इस्तेमाल से होने वाले गंभीर खतरे को देखते हुए 18 सितंबर को एक अध्यादेश के जरिए पूरे देश में ई-सिगरेट के आयात, उत्पादन, बिक्री, विज्ञापन, भंडारण और वितरण पर रोक लगा दी थी। अगर कोई कानून तोड़ता है तो उसे कड़ी सजा होगी।
नियमों के उल्लंघन पर सजा का प्रावधान
नए नियमों के अनुसार पहली बार नियमों के उल्लंघन पर एक साल तक की जेल और एक लाख रुपये का जुर्माना का प्रस्ताव किया गया है। इसके बाद इस नियम को तोड़ने पर मिनिस्ट्री ने 5 लाख रुपये जुर्माना और 3 साल तक जेल की सिफारिश की गई है। इसमें ई हूक्का भी शामिल है।
सेहत के लिए है खातनाक
स्वास्थ्य मंत्रालय ने इन्हें ड्रग्स मानते हुए और सेहत पर इनके खतरनाक असर को देखते हुए बैन करने का फैसला लिया था। बता दें कि बैटरी ऑपरेटिड सिगरेट को बैन करने का प्रस्ताव नरेंद्र मोदी सरकार के 'शुरुआती 100 दिनों के एजेंडे' में शामिल है। ई-सिगरेट जिसे Electronic nicotine delivery system (ENDS) कहा जाता है, धूम्रपान करने वालों के बीच काफी लोकप्रिय है।
ई-सिगरेट के नुकसान?
ई सिगरेट का सेवन करने से व्यक्ति को डिप्रेशन होने की संभावना दोगुनी हो जाती है। एक शोध के मुताबिक जो लोग ई सिगरेट का सेवन करते हैं, उन्हें हार्ट अटैक का खतरा 56 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। वहीं लंबे समय तक इसका सेवन करने से ब्लड क्लॉट की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है।
ड्रग्स की श्रेणी में आती है ई-सिगरेट
1 जून को हुई ड्रग कंसल्टेटिव कमेटी मीटिंग में एक्स्पर्ट्स ने इस बात की पुष्टि की कि ई-सिगरेट और ऐसी अन्य कई डिवाइस को Drug and Cosmetics Act, 1940 (DCA) के सेक्शन 3(b) के तहत ड्रग माना जाएगा। लिहाजा DCA के सेक्शन 26(A) के तहत उन्हें बैन किया जाना चाहिए। ENDS के तहत ई-सिगरेट, हीट-नॉट बर्न डिवाइस, वेप, ई-शीशा, ई-निकोटीन, फ्लेवर्ड हुक्का और ऐसे अन्य प्रोडक्ट्स आते हैं।