लखनऊ।
धराधाम के अद्वितीय शक्ति स्थल 51 शक्तिपीठ तीर्थ में चल रहे सहस्रचण्डी यज्ञानुष्ठान में आचार्यगणों ने आहुतियाँ अर्पित कर माँ कालरात्रि का आह्वान किया। यज्ञकर्म में समवेत मंत्रोच्चार के द्वारा आसुरी मनोवृत्तियों और उग्रवाद पर अंकुश की कामना की गई। अनुष्ठान की अध्यक्षता वृन्दावन से पधारे प्रख्यात बगलामुखी उपासक स्वामी रामजीवन दास जी महाराज ने की।
सीतापुर रोड स्थित इक्यावन शक्तिपीठ तीर्थ में विगत 17 नवम्बर से चल रहे सहस्रचण्डी महायज्ञ का आज सातवाँ दिन था। यज्ञानुष्ठान में आज देवी के सप्तम स्वरूप कालरात्रि की विशेष रूप से उपासना की गई। यज्ञाचार्य देवप्रकाश शास्त्री ने बताया कि सहस्रचण्डी यज्ञ के सातवें दिन माँ कालरात्रि के आह्वान का विधान है। इस दिन याज्ञिक का मन 'सहस्रार' चक्र में स्थित रहता है। इसकी साधना से ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है। यज्ञाचार्य ने बताया कि देवी कालात्रि को व्यापक रूप से माता, देवी, काली, महाकाली, भद्रकाली, भैरवी, रुद्राणी, चामुंडा, चंडी, रौद्री और दुर्गा के कई विनाशकारी रूपों में से एक माना जाता है। सहस्रचण्डी यज्ञ में उनकी साधनास्वरूप साधक पुण्य, सिद्धियों, निधियों विशेष रूप से ज्ञान, शक्ति और धन की प्राप्त करता है।
तीर्थ के संस्थापक यज्ञव्रती पं. रघुराज दीक्षित मंजु ने कहा कि यह यज्ञ आसुरी प्रवृतियों और उग्रवाद पर अंकुश का वातावरण स्थापित करेगा। इस यज्ञ में सम्मिलित होने मात्र से भक्त के समस्त पापों-विघ्नों का नाश हो जाता है और अक्षय पुण्य-लोकों की प्राप्ति होती है।
यज्ञानुष्ठान की कार्यविधियों की चर्चा करते हुए ट्रस्टी तृप्ति तिवारी ने बताया कि प्रातःकाल से देर शाम तक विधिविधान पूर्वक यज्ञकर्म संचालित हो रहा है। समापन दिवस 25 नवम्बर को अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त लोकगायिका कुसुम वर्मा देवीगीटन पर आधारित वृहद कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगी। संयोजक वरद तिवारी ने बताया कि बड़ी संख्या में श्रद्धालु सुदूर क्षेत्रों से पधार कर यज्ञ में शामिल हो रहे हैं।
यज्ञानुष्ठान में यज्ञाचार्य देवप्रकाश शर्मा शास्त्री, तीर्थ के प्रधान पुरोहित आचार्य धनञ्जय जी महाराज, आचार्य शिवदत्त पाराशर, रामकुमार मिश्र शास्त्री, महेंद्रशिवशरण दास, शंकर भारद्वाज, विजय गौतम शास्त्री, नीरज शास्त्री, सुलभ आदि गणमान्य उपस्थित रहे।