नई दिल्ली
दिल्ली और आसपास के शहरों में प्रदूषण को लेकर मंगलवार का दिन बेहद अहम रहा। एक तरफ संसद में पलूशन के सलूशन को लेकर चर्चा हुई तो राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी इस पर चिंता जताते हुए कहा कि इन हालातों में भविष्य की चिंता होती है और अस्तित्व खतरे में लगता है। राष्ट्रपति भावन में देश के आईआईटी, एनआईटी और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ इंजिनियरिंग साइंस ऐंड टेक्नॉलजी के निदेशकों से बातचीत में यह बात कही। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि आप लोग अपनी विशेषज्ञता से एयर पलूशन की समस्या का समाधान ढूंढ लेंगे और साथ ही छात्रों तथा शोधकर्ताओं में संवेदनशीलता जगाएंगे।
कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में सालाना 'विजिटर्स कॉन्फ्रेंस' में कहा, 'यह साल ऐसा वक्त है जब देश की राजधानी और कई अन्य शहरों की वायु गुणवत्ता मानकों से परे काफी खराब हो गई है। कई वैज्ञानिकों ने भविष्य की दुखद तस्वीर पेश की है। शहरों में धुंध और खराब दृश्यता के दिनों में हमें डर रहता है कि क्या भविष्य ऐसा ही है।'
उन्होंने कहा, 'मुझे विश्वास है कि आपके संस्थान इसका समाधान निकालेंगे और हमारे साझे भविष्य के लिए छात्रों और शोधकर्ताओं के बीच संवेदनशीलता और जागरूकता का प्रसार करेंगे।' कोविंद ने कहा, 'हम ऐसी चुनौती का सामना कर रहे हैं जो पहले कभी नहीं आई। पिछली कुछ सदियों में हाइड्रोकार्बन ऊर्जा ने दुनिया का चेहरा बदल दिया है लेकिन अब इससे हमारे अस्तित्व पर ही खतरा पैदा हो गया है।'
'ईज ऑफ डूइंग बिजनस के बाद ईज ऑफ लिविंग सुधारना होगा'
उन्होंने कहा कि यह चुनौती उन देशों के लिए और विकट हो गई है, जो जनसंख्या के एक बड़े हिस्से को गरीबी से बाहर लाने के लिए संघर्षरत हैं। फिर भी हमें विकल्प तलाशना होगा। राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार द्वारा 'ईज ऑफ डूइंग बिजनस' सूचकांक में भारत की रैंकिंग सुधारने का प्रयास करने के बाद अब उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए 'ईज ऑफ लिविंग' में सुधार लाना है।