अलर्ट:मिनटों में खाली हो सकता है आपका बैंक अकाउंट-हेल्पलाइन फ्रॉड


फर्जी हेल्पलाइन नंबर से होने वाले फ्रॉड के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। हाल में मुंबई में रहने वाली एक महिला को ऐसे ही फ्रॉड के कारण 40,000 रुपये का नुकसान हो गया। उनकी गलती बस ये थी की उन्होंने HP गैस ऐजेंसी के फर्जी हेल्पलाइन नंबर पर कॉल कर दिया था। कॉल करने के बाद कस्टमर केयर एग्जिक्यूटिव ने उन्हें एक भेजे गए लिंक में जरूरी डीटेल्स एंटर करने को कहा। महिला ने बताया कि जैसे ही उन्होंने लिंक को क्लिक किया उनके खाते से चार ट्रांजैक्शन में 40 हजार रुपये चोरी हो गए।

इस तरह के फ्रॉड करने के लिए जालसाज UPI पेमेंट रिक्वेस्ट और वॉट्सऐप पर शेयर किए गए QR कोड का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। वहीं, हाल के दिनों में हुई घटनाओं पर गौर करें तो पता चलता है कि गूगल और जस्टडायल पर मौजूद गलत कस्टमर केयर या हेल्पलाइन नंबर इन जालसाजों का नया हथियार बन गए हैं। यहां हम आपको इसके बारे में डीटेल में बताने वाले हैं ताकि आप ऐसे फ्रॉड से खुद को बचा सकें।

इस कारण बढ़ रहे हैं मामले
बीते कुछ सालों में स्मार्टफोन का क्रेज काफी बढ़ा है। इसके साथ ही इंटरनेट का सस्ता होना यूजर्स के लिए जहां फायदेमंद हुआ, तो वहीं दूसरी तरफ इसने जालसाजी के भई नए दरवाजे खोल दिए। स्मार्टफोन और इंटरनेट के दौर में इस वक्त कई ऐसे पेमेंट ऐप भी आ गए हैं जिनका इस्तेमाल देश के करोड़ों यूजर्स द्वारा किया जाता है। साइबर एक्सपर्ट रितेश भाटिया ने फर्जी हेल्पलाइन नंबर से किए जाने वाले फ्रॉड के दो करण बताए हैं।


उन्होंने कहा, 'जालसाज या तो गूगल सर्च में जाकर अपने नंबर को ऐड कर देते हैं या वे अपने नंबर से एक गूगल बिजनस अकाउंट बना लेते हैं। इसमें वे किसी दूसरी कंपनी के अकाउंट को अपने नंबर से लिंक करने का दावा कर सकते हैं। इतना ही नहीं वे यहां दिए गए suggest an edit में जाकर अपने नंबर के साथ उसे अपडेट भी कर सकते हैं। ऐसा करके वे खुद को किसी बिजनस या बैंक से जुड़ा हुआ बता सकते हैं। गूगल इन बिजनस अकाउंट को वेरिफाइ करने के लिए पोस्ट भेजता है। जालसाजों को इस फ्रॉड में ज्यादा दिक्कत नहीं होती क्योंकि गूगल कोई फिजिकल वेरिफिकेशन नहीं करता।'
UPI के आने के बाद से जालसाजी का खेल और आसान हो गया है। इसमें जालसाजों को पैसे की डिमांड करने के लिए अपने डीटेल शेयर करने की जरूरत नहीं पड़ती। इसमें पैसे रिसीव करने के लिए एस यूपीआई हैंडल की काफी होता है।


उठाए जा रहे जरूरी कदम
नैशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के दिलीप आस्बे ने बताया कि कॉर्पोरेशन ऑनलाइन प्रोवाइडर्स के साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि जल्द से जल्द फर्जी हेल्पलाइन नंबर और लिंक्स को हटाया जा सके। इसके साथ ही बैंको के साथ एनपीसीआई जागरूकता फैलाने के लिए भी जरूरी कदम उठा रहा है।

PhonePe के फाउंडर समीर निगम ने कहा, 'जालसाज ज्यादातर उन प्लैटफॉर्म्स को अपना निशाना बनाते हैं जो क्राउडसोर्स्ड इन्फर्मेशन या यूजर-जेनरेटेड कॉन्टेंट पर आधारित हैं। जब भी ऐसे मामले लेकर हम कंपनियों के पास पहुंचते हैं तो हमे उनका पूरा सपॉर्ट मिलता है। हालांकि हम चाहते हैं कि गूगल, ट्विटर, फेसबुक इस तरह के फ्रॉड को रोकने में हमारी मदद करें।' फोनपे ने इन कंपनयों से अपील की है कि वे बिजनसेज को गलत जानकारी ऑटोमैटिकली हटाने की सुविधा उपलब्ध कराएं ताकि ऐसा फर्जीवाड़ा किए जाने पर रियल-टाइम में ऐक्शन लिया जा सके।


साइबर एक्सपर्ट रितेश भाटिया ने आगे कहा, 'सभी कंपनियों को गूगल सर्च पर जाकर अपने हेल्पलाइन नंबर्स की जांच करनी चाहिए। अगर उन्हें गूगल सर्च के दौरान कुछ भी गलत लगता है तो उन्हें तुरंत इसकी जानकारी गूगल को देकर उसे हटवा या ठीक करवा देना चाहिए। इसके साथ ही यह भी जरूरी है सभी कंपनियां माय बिजनस पर जालसाजों से पहले खुद को लिस्ट करा लें। ऐसा करने से जालसाज कंपनियों पर आइडेंटिटी चोरी करने का आरोप भी नहीं लगा पाएंगे।'
इन फ्रॉड्स से ऐसे बचें
1- कभी भी किसी के साथ अपना कार्ड नंबर, एक्सपायरी डेट, पिन, ओटीपी इत्यादि किसी के साथ शेयर न करें।
2- पैसे रिसीव करने के लिए कभी भी 'Pay' या यूपीआई पिन को न एंटर करें।
3- थर्ड-पार्टी ऐप्स जैसे स्क्रीनशेयर, ऐनीडेस्क, टीमव्यूअर को न इंस्टॉल करें।
4- गूगल, फेसबुक या ट्विटर पर दिए गए हेल्पलाइन नंबर पर विश्वास न करें और हमेशा कंपनी की असली साइट पर दिए गए नंबर पर ही कॉल करें।
5- किसी अनजान अड्रेस से आए ईमेल या टेक्स्ट मेसेज लिंक पर क्लिक न करें।

होते हैं ऐसे फ्रॉड:
मनी फ्रॉड रिक्वेस्ट
यूपीआई में दिए गए रिक्वेस्ट फीचर का जालसाज खूब इस्तेमाल करते हैं। वे अपने शिकार को 'Enter your UPI PIN to receive money' का मेसेज भेजते हैं। हमेशा ध्यान रखें कि आपको पिन की जरूरत केवल पैसे भेजने के लिए होती है।

QR कोड फ्रॉड
जालसाज वॉट्सऐप पर QR Code भेजते हैं। अकाउंट में पैसे पाने के लिए वे इस QR कोड को स्कैन करने के लिए कहते हैं। यहां भी आपको ध्यान रखना है कि QR कोड का इस्तेमाल केवल पेमेंट करने के लिए होता है न कि पेमेंट रिसीव करने के लिए।


रिमोट ऐक्सेस ऐप


ये जालसाज अपने शिकार को स्क्रीनशेयर, ऐनीडेस्क, टीमव्यूअर जैसे स्क्रीनशेयरिंग ऐप इंस्टॉल करने के लिए कहते हैं। इंस्टॉल होने पर इन ऐप्स के जरिए ये जालसाज आपके द्वारा फोन पर की जाने वाले सारी गतिविधियों को मॉनिटर और रिकॉर्ड कर सकते हैं। ये ऐप मैलवेयर नहीं हैं, लेकिन जालसाजों द्वारा इसके गलत इस्तेमाल की घटनाएं काफी बढ़ रही हैं।


सोशल मीडिया फ्रॉड


जालसाज सोशल मीडिया पर की जाने वाले शिकायतों को मॉनिटर करते हैं। इसके बाद वे खुद को बैंक अधिकारी या आरबीआई का कर्मचारी बताकर यूजर्स से बैंकिंग डीटेल निकलवा लेते है। ध्यान रखें की कोई भी बैंक कर्मचारी अपने ग्राहक से कभी भी अकाउंट का डीटेल नहीं मांगता।