नई दिल्ली
निर्भया के गुनहगारों फांसी के फंदे के बीच की दूरी और कम हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दोषी अक्षय की रिव्यू पिटिशन को खारिज कर दिया। कोर्ट ने साथ में यह कहा कि दोषी तय समय में दया याचिका के विकल्प का इस्तेमाल कर सकता है। हालांकि, रिव्यू पिटिशन खारिज होने का यह मतलब नहीं कि जल्द ही निर्भया के गुनहगारों को फांसी पर लटका दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ट्रायल कोर्ट (पटियाला हाउस कोर्ट) में दोषियों के डेथ वॉरंट पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने दोषियों को नोटिस दिया और अगली सुनवाई 7 जनवरी के लिए तय कर दी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- दोषी की दलीलों में कोई नई बात नहीं
अक्षय के वकील एपी सिंह ने सुनवाई के दौरान केस की जांच और पीड़ित के बयानों पर सवाल उठाए। करीब 30 मिनट की दलीलों में सिंह ने कहा कि पीड़ित ने आखिरी बयान में अक्षय या किसी दोषी का नाम नहीं लिया। पीड़ित की मौत ड्रग ओवरडोज से हुई थी। मीडिया और राजनीतिक दबाव में अक्षय को सजा सुनाई गई। बेंच ने कहा कि दलीलों में कुछ नई बात नहीं है।
ट्रायल कोर्ट में डेथ वॉरंट पर सुनवाई टली
सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन खारिज होने के कुछ ही घंटे बाद पटियाला हाउस कोर्ट में दोषियों को डेथ वॉरंट जारी करने को लेकर सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने दोषियों को नोटिस जारी किया। डेथ वॉरंट को लेकर अगली सुनवाई 7 जनवरी को होगी। कोर्ट ने तिहाड़ प्रशासन को निर्देश दिया के वे एक सप्ताह के भीतर दोषियों को नोटिस जारी कर उनसे पूछे कि क्या वे दया याचिका दाखिल करना चाहते हैं। कोर्ट ने निर्भया की मां से कहा, 'हमें आपसे पूरी सहानुभूति है। हमें मालूम है कि किसी की मौत हुई है लेकिन यहां किसी अन्य के अधिकार की भी बात है। हम यहां आपको सुनने के लिए आए हैं लेकिन हम भी कानून से बंधे हैं।'