लेखक- मनदीप साई ( कुरुक्षेत्र)
वो सुनना चाहती है पहली मुलाकात कैसी होगी.....
देखुंगा का जब तुम्हे पहली दफा नज़रे मेरी इबादत में झुक जाएगी,
शर्म की हया होगी तुम्हारी आंखो में नज़रे तेरी भी झुक जाएगी।
मेरे लबों के फूल बनकर तेरा सजदा करेंगे,
एक पल के लिए सारी कायनात थम सी जाएगी।
पकड़ कर हाथ तुम्हारा हक से मेरे समर्पण का गुलाब दूंगा,
मेरे संग संग तुम भी प्यार के प्यार के बवर में डूब जाएगी।
पूछ कर ख्वाइश तेरी तुझे आसमान में लेे चलूंगा,
डर कर ऊची उड़ान से तुम मेरे सीने से चिपक जाएगी।
खुशियों की चांदनी तेरे चहरा पर देख फिंजा तुम्हारे नूर से चिड़ेगी,
पंख बना कर मेरी बाहों के संग मेरे तुम उड़ने लग जाएगी।
छू कर तुम चांद को माथे पर टीका कर लेना,
कहीं खत्म ना हो जाए ये पल तुम सोच घबरा जाएगी।
लगा कर सीने से फिर तुम सब दर्द भुल जाओगी,
बिछड़ने के वक्त तुम नम आंखों से लौट जाएगी।
पता ना चलने देना अहसास"मनदीप"का कभी जमाने को,
बार बार तुम मुझे से मिलने कुरुक्षेत्र की गलियों में आओगी।